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Prachi Gaur

Tragedy

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Prachi Gaur

Tragedy

दिल भी क्या उस पर ही आना था

दिल भी क्या उस पर ही आना था

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दिल भी क्या उस पर ही आना था जिसको अगले दिन शादी के बॉर्डर पर जाना था।

पति ,बेटा,दोस्त होने से पहले उसे भारत माँ के बेटे होने का फर्ज निभाना था।

कब से राह तके बैठी थी उसकी आने की आस में जब आया तो ,

आँखे बरस पड़ी और दिल भर आया था।

मेरा वीर शादी के बाद सीधे घर तिरंगे में सजा आया था।

गिर पड़ी वो उसके सीने पे ओर पूछा सारे फ़र्ज़ निभा लिये अभी उठो एक पिता होने का फर्ज निभाना था।

कैसे संभालूंगी में खुद को,माँ,बाबा को उठो मेरे फौजी तुम्हे अभी अपनी सन्तान को कंधे पे उठाना है।

दिल भी क्या उस पर ही आना था ।।


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