धूम
धूम
प्रिया और शुभम इंगेजमेंट के बाद,आज पहली बार फिल्म देखने गए थे। फिल्म का नाम धूम था लेकिन दोनों के मनों में धूम मची हुई थी। यह कह लो कि फिल्म तो एक बहाना था प्यार लफ्जों में बयान नहीं हो पाता। यह वह भाव है जो आंखों से होते हुए दिल में उतर जाता है। जो ढाई अक्षर प्यार के समझ जाता है। इन शब्दों में वह जादू है या यह कह लें कि यह ढाई अक्षर ईश्वर के साथ-साथ हर इंसान के मन की कुंजी है।जिन शब्दों में इतनी शक्ति है वह क्या नहीं कर सकते। प्यार की सबसे सुंदर परिभाषा यही है "प्यार आंखों पर लगाये चश्में की तरह है" जिसको लगाते सारी दुनिया सुंदर लगती है। हर चीज प्यारी लगती है। पत्थर भी सुनने लगते हैं हवाएं छूकर ऐसे जाती हैं मानो कुछ कह रही हो। जीवन उमंग -तरंग से भर जाता है।नफरतों के लिए कोई जगह नहीं होती। आप जिस प्यार की औरा में बहे जाते हैं आपको महसूस होता है कि सारी दुनिया बहुत अच्छी लगती है। एक उर्जा आपको प्रेम के साथ बहाती हुई जीवन को रंगों से भरती हुई ईश्वर की सत्ता को महसूस कराती हुई निरंतर बहती रहती है। मन शांत रहता है आप निरंतर कर्म करते हुए प्रेम की एक अलौकिक लौ में हमेशा प्रकाशित रहते हैं।
लेकिन जैसे ही यह प्रेम का चश्मा उतरा। दृश्य भी बदल जाता है नफरतें उभर आती है अपना पराया दिखने लगता है। आंखों का धुंधलापन दिमाग और मन को कलुषित कर जाता है। मतलब, फायदे सामने आ जाते हैं। फिर भटकन शुरू होती है और मनुष्य ईश्वर की बनाई कायनात से दूर जाना शुरू हो जाता है। नहीं समझ पाता कि प्यार ही जिंदगी है। प्यार विश्वास को जन्म देता है। यह परिवार, समाज ,देश, विश्व को जीवन देता है। मरना तो एक दिन सबको है लेकिन जब हम प्यार में मरते हैं तो जिंदगी में एक आनंद होता है हम खुशी से जीवन की परिपूर्णता को जीते हुए अपनी आत्मा को स्वतंत्र कर देते हैं। प्यार कीजिए आंखों पर प्यार का चश्मा हमेशा लगा कर रखें ताकि सारी दुनिया बहुत खूबसूरत प्यारी लगे हर कोई अपना लगे। फिल्म के 3 घंटे कैसे खामोशी से दोनों ने निकाल दी उन्हें पता भी नहीं चला लेकिन मन में प्यार की धूम पहले भी थी और फिल्म देखने के बाद भी जारी थी।