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धुआँ

धुआँ

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टीवी पर मैच देखते हुए संजीव एक के बाद एक लगातार सिगरेट फूंके जा रहा था।

“ बंद क्यों नहीं कर देते ये सब ?” रिमी ने गुस्सा होकर कहा।

“ …....” इस बार उसने धुँए का छल्ला रिमी की तरफ उड़ाया। 

“ याद है ना, पिछली बार हम दोनों की धूम्रपान आदत के चलते, डॉक्टर ने काउंसलिंग के वक्त एक वीडियो क्लिप दिखायी थी, जिसमें 12 सप्ताह के उस छोटे से बेबी को कितनी परेशानी हो रही थी, सिगरेट के धुँए से। उन्होंने सचेत भी किया था, ऐसे में बच्चे प्रीमैच्यूर व कमज़ोर पैदा होते हैं। और भी कई बीमारियों के होने का खतरा रहता है। “

याद करके संजीव के रोंगटे खड़े हो गए थे, " क्या करूँ, छोड़ना तो मैं भी चाहता हूँ पर इसके बिना अजीब सी बेचैनी रहती है।"

“डार्लिंग, मुझे पता है कि इतना आसान नहीं इस लत का छूट पाना। मेरे लिए भी मुश्किल था इसे छोड़ना। पर अब मैं माँ हूँ, किसी भी हालत में अपने बच्चे की जिंदगी धुएँ में तो नहीं उड़ाने दूँगी।“ बड़े प्यार से उसने सिगरेट को उसके हाथ से ले बुझा दिया और अपने पेट को सहलाती अपनी नन्हीं-सी जान को महसूस करने लगी।

उधर टीवी पर मैच में खिलाड़ी के तेजी से गेंद को 6 रन के लिए उछालने के साथ ही इधर संजीव ने भी अपनी पाॅकेट से सिगरेट का पैकेट निकाल कूड़ेदान की तरफ उछाल दिया।


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