डर तेरा
डर तेरा
यही डर इंसान को हर समय आगे बढ़ने से रोकता है
मनुष्य इस सत्य से अनभिज्ञ है ,यह भय भी उसी का है।
वो ही इस डर के पीछे है और वो इसके आगे है।
इसे समझने के लिए इंसान पूरी जिंदगी संघर्ष करते हुए बिताते हैं।
फिर भी यह कहा जाता है कि युग बहुत बुरा है।
स्वयं की कमी को भूलकर वो दूसरों में दोष दिखाता है।
वे खुद से नहीं लड़ता और दूसरों से लड़ता रह जाते हैं ।
