डर लगता है
डर लगता है
तेरी दूर जाने से नहीं, तुझे याद करने से डर लगता है
तेरे साथ बिताया हुआ हर पल हर एक लम्हा, इनमे से तू बसती थी
उन यादों को याद करने से डर लगता है
तुझे नहीं तेरी बातों से डर लगता है।
तेरी हर एक बात जिसमे सिर्फ और सिर्फ मेरा
जिक्र हुआ करता था, क्या वो सारी बातें झूट लगता है
आज नफरत नहीं प्यार से डर लगता है।
किसी के साथ कुछ हसी पल बिताना और उसे
यकीन दिलाना की तुम उसके लिए कितने फिक्र हो
और फिर उसे बीच राह में बिना बता के
छोड़ कर चले जाना यही प्यार होता है
मुझे एसे प्यार से डर लगता है।
आज अनजान से नहीं सजल से डर लगता है
वो मुझे छोड़ कर चली गई, मानता हूं कि ये जरूरी
नहीं काल जो आएगा वो भी छोड़ के जाएगा
पर उसकी मुझे यूं छोड़ जाने से मुझे तो
किसी से बिस्वास करने से डर लगता है
आज किसी की जाने से नहीं किसी की आने से डर लगता है
फिर वो सब पुराने बातें, फिर वो वादें, और फिर वोही सपने
सबको सपने में छोड़ के बिछड़ जाने से डर लगता है
आज दुनिया से नहीं खुद से डर लगता है।
कहीं ये दिल दोबारा प्यार कर ना बैठे, दोबारा किसी से
इजहार कर ना बैठे, क्यूं की ये सब में दोबारा सेहन नहीं कर पाऊंगा
इसलिए किसी लड़की से बात करने से डर लगता है।
