लड़कों के साथ भेदभाव क्यूं...
लड़कों के साथ भेदभाव क्यूं...
अक्सर लड़कियों के साथ हो रहे भेदभाव पर stand लेते हैं तो फिर लड़कों के साथ हो रहे भेदभाव पर क्यूं नहींं.....
अक्सर देखने को मिलता है local बसों में पापा की पारियों को ही सीट मिलती है... फिर चाहे पापा के परे (बेटे) चाहे उड़कर जाए या चमगादड़ की तरह लटक कर... वैसे तो सभी बोलने लगते लगे है बेटा बेटी एक समान.. तो लड़कों के साथ इतने भेदभाव क्यूं...??
खाने का स्टल से ले कर, सिनेमा हल तक सब girls 1st नारा लगाएंगे... आरे लड़के खैरात में थोड़ी आए हैं मुंह उठाकर...
उन्होंने भी उतने ही पैसे दिए हैं तो boys 1st क्यूं नहींं...??
अब कुछ लोग इस इन्सानियत का नाम देकर महान बनने की कोसिस करेंगे..
तो उनको में बता दूं इतना ही इंसानियत भौकाल मचा रहा है आप के भीतर तो आपने बिरादरी बालों (boys) की थोड़ी बहुत इज्जत तो कर लो...
वैसे लड़कियों में तो आप लोग में तो बड़ी देवी माया नजर आती है..
तो एक बात बताओ ये लड़के कोनसी राख्यास प्रजाति से मुंह उठाकर आए लगते हैं आपको.. लोगों को लगता है की लड़कियां छुईमुई सी होती हैं..
हां मान लिया लड़कियां 25-25 ग्राम की होती हैं, फूंक मारो तो उड़ जायेंगे..
तो जरा बताना ये लड़के कौनसी रामदेव बाबा की भक्त है की छाती पर बुलडोजर (JCB) चलवा दो, तो भी टस से मस नहींं होंगे..
दर्द उनको भी होता है लेकिन नहींं, सब ताने मार-मार कर उनको अंदर ही अंदर मार देने की कसम खा रखे हैं...
तू लड़का है तो अपना दुख ही बता नहींं सकत, रो नहीं सकता, खुलकर हस नहींं सकता....
लड़कियों को ताने मारना, गालियां देना अपराध है.. तो ये जो लड़के को ताने मारते हैं...
आबे ओ मोटा चमडा, कालामुंहा, पेटिकोट् छाप, चमचा, & bla bla bla.. आखिर ये कोनसी पुण्य भरे शब्द है जरा बताना.. लोग भेदभाव की बात तो ऐसे करते हैं जैसे सारे इज्जत तो लड़कियों को ही विरासत में मिला है...
लड़के तो जैसे बास जलील होने के लिए ही पैदा हुए हैं...
लड़के भी इनसान ही है, बुरा उन्हें भी लगता है, चोट उन्हें भी लगता है,
भेदभाव सिर्फ लड़कियों के साथ नहींं लड़कों के साथ भी होता है..
तो plzz बोलते हो तो, दोनो को एक समान मानो भी..
वैसे तो ये भेदभाव सबसे पहले घर से ही शुरु होता है.. so
