चंचल बहूरानी

चंचल बहूरानी

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वैसे तो मास्टर दीनानाथ जी राजापुर गाँव के बड़े ही सम्मानित व्यक्ति हैं पर वे आज गाँव के सभी छोटे-बड़े, सरपंच के साथ मिलकर उनकी इज़्ज़त का जनाजा निकालने पर आमदा हैं। सभी उनके बड़े बेटे कपिल पांडे को उलाहना दे रहे थे कि शादीशुदा होकर भी किसी पराई स्त्री के साथ सिनेमा हाल में देखने से भला गाँव की बहू-बेटियों पर क्या असर होगा।

एक दिन सरपंच के इकलौते बेटे भोलाराम ने यह नजारा सिनेमा हाल में देख लिया था तो बात फैलते देर न लगी। आज सभी कपिल को भला-बुरा कह रहे थे। क्या घर वाले क्या बाहर वाले सभी बहती गंगा में हाथ धो रहे थे पर कपिल की आठवीं पास सुन्दर सुडौल धर्मपत्नी चंचल नजरें झुकाए गुमसुम खड़ी थी, और हो भी क्यों न क्योंकि पतिदेव और ससुर जी की दुर्दशा उसी की मेहरबानी से हुयी।

बात कुछ यह है कि बीते शुक्रवार को चंचल सिनेमा के लिए अड़ गयी वो भी स्कर्ट टाॅप पहन कर, आखिर कब तक मन ही मन वो माॅडर्न गर्ल बनी रहती। माॅडल बनने का भूत सिर चढ़ बोल रहा था। टीवी सीरियलों से प्रेरित होकर मन ही मन चंचल खुद को फिल्मी हीरोइन मान चुकी थी। अब तो प्रदर्षन की बारी थी और आज तो उसे साबित करना था वह सुन्दरता में किसी से कम नहीं।

एडवोकेट कपिल ने पिता की इज़्ज़त, घर की मान मर्यादा तथा समाज की लोक लाज का खूब हवाला दिया पर पत्नी हठ के सामने उसकी वकालत एक न चली। फिर वकील साहब ने भी भरपूर विरोध नहीं किया। आखिर उनके मन में भी पत्नी को नए रूप में देखने की लालसा अंगड़ाई ले रही थी। तो तय प्लान के मुताबिक घर से चंचल बहुरानी एक हाथ की घूंघट वाली साढ़े पाँच मीटर की साड़ी में पांडेय खानदान की आबरू समेटे हुए डाक्टर के यहाँ चैकअप के बहाने से कपिल के साथ चल पड़ी।

उनकी हीरो होण्डा शिवालय गेस्ट हाउस के पास रूकी। यहीं पर रूम नंबर 112 में मास्टर जी की शर्मीली बहूरानी चंचल का कायाकल्प हुआ। खुले लहराते काले घने बाल, उस पर होंठ लाल-लाल, आँखों पर काला चश्मा, पिंक टाॅप और नीली जीन्स की स्कर्ट में चंचल को देखकर कपिल की आँखें चौंधया गयीं। गाड़ी का पिकअप अपने आप बढ़ गया और वकील बाबू मन नही मन गदगद हो रहे थे पर घबराहट भी थी कि गाँव का कोई पहचान वाला न देख ले और घर पर बवाल खड़ा हो जाए।

रास्ते में आते-जाते सभी की नजरें वकील बाबू से ज्यादा चंचल को एकटक निहार रही थी और चंचल लिपिस्टक चाट-चाट कर इतरा रही थी मानों रूह आफजा शर्बत गिलास से छलक कर गिर रहा हो। सिनेमा हाल पहुँचते ही पत्नी पर रौब झाड़ने के लिए कपिल ने मफलर व स्वेटर निकाल दिया तथा पत्नी के साथ रोमांटिक अंदाज में बैठकर सिनेमा का लुत्फ लेने लगा कि तभी गाँव के सरपंच का बेटा भोलाराम अपने आवारा दो्स्तों के साथ शोर शराबा करता हाल में दाखिल हो गया।

चारों तरफ नजर घुमाने पर उसकी भी नजरें चंचल पर अटक गयीं। देखते ही मन में लडडू फूटने लगे पर अगले ही पल देखा तो लड़की का हाथ तो अपने वकील बाबू के हाथ में है। भोलाराम का माथा ठनका। उसने वकील बाबू की लड़की के साथ मोबाइल से फोटो खींच ली जो कि साफ नहीं थी पर वकील साहब की खाट खड़ी करने के लिए काफी थी। अब तो भोलाराम को मास्टर जी से बचपन की पिटाई का बदला लेने का अवसर मिला था तो बस शाम तक सारे गाँव में भोलाराम ने वकील बाबू का चटपटा समाचार नमक मिर्च के साथ गाँव में सुना डाला और मास्टर दीनानाथ के घर बवाल खड़ा हो गया।

लोगों के सवालों को सुन कर मास्टर इतना गुस्से में आ गए कि कपिल के सिर पर जूता जड़ दिया और माॅं शर्म से बोली- ऐसी औलाद से मैं बेऔलाद अच्छी थी। बेचारा बेबस कपिल से सहा न गया, पर कुछ बोलने से पहले ही पत्नी चंचल की शर्मशार झुकी नजरों ने और चुप्पी के इशारे ने कपिल का मुँह बंद कर दिया और फिर पत्नी की सब के सामने किरकिरी हो जाती और सब मज़ाक बनाते इस ख्याल से पतिदेव सब कुछ सहते रहे पर कपिल की चुप्पी ने उसे दोेषी करार दे दिया।

सारे जतन करने पर भी कपिल की चुप्पी नहीं टूटी तो रात ग्यारह बजे सब गुस्सा होकर चले गए। कपिल और चंचल भी अपने कमरे में आ गए। चंचल ने तुरंत दरवाज़ा बंद किया और फिर नए-नए तरीकों से माफी माँगने लगी। कभी कान पकड़ती तो कभी उठक-बैठक करती, तो कभी पति देव के पैर छूती, पर वकील साहब के दिल पर क्या गुज़र रही थी, वे ही जानते थे।

मौके की नजाकत भाँपते हुए चंचल अदरक वाली चाय और पालक के गरमागरम पकौड़े बना लायी। कपिल के मुँह में पानी आ गया। भूख तो लगी ही थी तो सब भूलकर दोनों ने चाय की चुस्कियाँ लीं और जैसे-तैसे सोने का बहाना करके लेट गए। अभी झपकी लगी ही थी कि चंचल के दोनों भाई राजेश और सुरेश घर का दरवाज़ा पीटने लगे क्योंकि श्री भोलाराम जी आँखों देखा हाल चंचल के मायके में भी पहुँचा चुके थे।

तो उसके हटटे-कटटे भाई उपर से पुलिसिया रूआब और बहन के साथ धोखा, ये तो रक्षाबंधन का निरादर हुआ, तो आते ही भाईयों ने बवाल मचा दिया। बहन चुप कराती रही पर बात बिगड़ती गयी सुबह दस बजे तक मामला इतना बिगड़ गया कि हाथापाई से बचने के लिए पंचायत बुलायी गयी। अब तो मास्टर जी शर्म से पानी-पानी हो गए। पंचायत में मास्टर जी की पगड़ी उछलते देख और घर के लोगों के चरित्र पर सवाल उठता देख कपिल रह न सका और उसने पंचायत के सामने नज़रें झुकाए हुए सब सच बोल दिया।

गाँव के सरपंचों ने चंचल की नासमझी, कम अक्ली और कम शिक्षा को ध्यान में रखते हुए उसे समझाया और कपिल को पत्नी भक्ति सीमित रखने की हिदायत देते हुए मामला रफा-दफा किया पर मास्टर जी की किरकिरी हो ही चुकी थी। कई दिनों तक वो घर से बाहर नहीं निकले। चंचल भी अब दिखाने से ज्यादा छुपाने में ध्यान देने लगी। कई महीनों तक वकील साहब को भी ताने सुनने पड़े पर वक्त के साथ सब ठीक हो गया।


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