Guddu Bajpai

Drama Inspirational Thriller

4.7  

Guddu Bajpai

Drama Inspirational Thriller

इम्तिहान एक नारी का - अनामिका

इम्तिहान एक नारी का - अनामिका

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श्री रघुनाथ मिश्रा जी के घर में शादी का माहौल है सभी तैयारियों में मशरूफ है। मिश्रा जी बड़े खुश है कि बिटिया अनामिका का रिश्ता उनके बचपन के मित्र राघवेन्द्र तिवारी के होनहार बेटे अनुपम से हो रहा था। वह पारिवारिक सम्बन्धों के चलते एक दूसरे को जानते थे पर मंगनी की रस्म के बाद दोनों काफी करीब आ गये थे दूसरे शब्दों में कहें तो प्यार के बन्धन में बंध चुके थे। शादी में आठ दिन बाकी थे अनामिका की आखों में अनुपम ही अनुपम था और अनुपम के दिलों दिमाग पर अनामिका छाई थी।


हर दिन खुशियों की सौगात था, लेकिन एक दिन ऐसा तूफान आया कि सब कुछ उजड़ गया। अचानक एन. डी. ए. पूने से फोन आया कि, फ्लाईट लेफ्टिनेंट अनुपम का लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया खबर सुनते ही अनामिका बेहोश हो गई, सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकी। अनुपम की लाश टुकड़ों में मिली, दोनों परिवारों पर दुखों का पहाड टूट पड़ा। होश आने पर हाॅस्पिटल में अनामिका पागलों की तरह चीखने चिल्लाने लगी, मिश्रा जी समझा बुझा के बेटी को घर ले आये। आते ही आसुओं में डूबी अनामिका ने खुद को कमरे में बन्द कर लिया।


दूसरे दिन कमरे से बाहर निकली तो पिताजी के होश उड़ गये। जिस बेटी के हाथ पीले करके डोली में बिठाने का अरमान उम्र भर पाला उसे सफेद साड़ी में देख मिश्रा जी व्याकुल हो उठे और बेटी को गले लगाकर खूब रोये। फिर समझाया कि, जब शादी ही नहीं हुई विधवा होने का क्या औचित्य है। अनामिका पिता जी से नजरें नहीं मिला सकी। बहुत जोर देने पर बताया मंगनी के दौरान अनुपम के जिद करने पर मन्दिर में भगवान के सामने वह पति पत्नी बन चुके थे। एक लड़की जब किसी को पति मान के करवा चौथ का व्रत रख ले फिर किसी और के बारे में सोचना भी पाप है। बेटी की बातें पिता के गले न उतरी पर वे ये सोचकर चुप रहे कि समय के साथ सब ठीक हो जायेगा। पर ऐस कुछ नहीं हुआ एक दिन अनामिका बेहोश होकर गिर पड़ी। तब डाॅक्टर शिखा राय ने अनामिका के प्रेग्नेंट होने की पुष्टी की। खबर मिश्रा जी के लिए दुख का सागर और अनामिका के लिए चुनौती बन गई।


कहते हैं चिन्ता चिता समान होती है, तो मिश्रा जी को सोचते-सोचते रात में अचानक लक्वा मार गया और पूरे शरीर की संवेदनशीलता शून्य हो गयी। अनामिका बिल्कुल अकेली पड़ गई, समाज में कुँवारी माँ बनने की चुनौती, पिता की देखभाल तथा आठ साल के छोटे भाई यश की देखभाल इतनी जिम्मेदारियाँ एक पुरूष नहीं उठा सकता तो अनामिका की दिमागी हालत का सिर्फ अहसास किया जा सकता है, शब्दों में पिरोया नहीं जा सकता, लेखक उसके हौसले और हिम्मत को सलाम करता है।


इसी बीच अनामिका ने अनुपम के माता-पिता को सच बताया पर उन्होंने अनामिका को मनहूस मानकर शादी की सच्चाई से इन्कार कर दिया, तो बच्चे को अपनाने का प्रश्न ही नहीं उठता। वह मन्दिर गई तो जिस पण्डित ने शादी कराई थी, उसकी मृत्यु हो चुकी थी, तो अब भगवान जी गवाही दे नहीं सकते, लिहाजा अनामिका शादी को साबित नहीं कर सकी। भगवान को बुरा भला कहके घर आकर के फूट-फूट कर रोने लगी, अचानक अहसास होता है कि अनुपम अनामिका के माथे को चूमते हुए कहता है, कोई साथ दे या न दे मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ! तभी अनुपम की फोटो गिरने से अनामिका की नींद खुल जाती है और उसे आत्मा का अहसास होता है जिससे उसे आत्मबल मिलता है।


धीरे-धीरे लोगों के ताने व भद्दे मजाक सुनते-सुनते आठ माह हो चुके थे। सारे रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने नाता तोड़ लिया था, तो यश के साथ अकेले ही अनामिका विनायक हाॅस्पिटल पहुँची और एक लड़की को जन्म दिया। लड़की की आँखें अनुपम की तरह हल्की नीली थी। अब अनामिका का रिश्ता साॅंसें ले रहा था। नन्हीं सी जान की मुस्कान के सामने सारे दुख-दर्द फीके पड़ चुके थे। बेटी कि हिम्मत और सच्चाई तथा समाज की कुरीतियों से विरोध का साहस देख मिश्रा जी को अपनी बेटी पर नाज था, पर समाज के ठेकेदारों को कोई हमदर्दी नहीं थी।


पूनम के चाँद की तरह छोटी बिटिया शिवि तिवारी बड़ी होने लगी। अनामिका उसे सीने से लगाकर रखती और अच्छे संस्कारों के साथ-साथ सही-गलत की शिक्षा भी देती। स्कूल तथा आस-पास शिवि से कोई पूछता कि उसके पापा कौन है, तो वह तोतली जुबान में अकड़ के गर्व के साथ कहती ‘माई फादर नेम इज फ्लाइट लेफ्टिनेंट अनुपम तिवारी!’ लेकिन बच्चों को अपने पापा की गोद में खेलते देख वह उदास होकर माँ की गोद में आ जाती, पर माँ से कुछ न कहती क्योंकि, माँ को रोता नहीं देख सकती, फिर चाहे पापा की तस्वीर से अकेले में घण्टों बतयाती।


साँवले रंग की मनमोहक छवि वाली शिवि एक होनहार लड़की थी। पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहती पर उसका भी जीवन माँ की तरह चुनौतीपूर्ण रहा। वह भी फाईटर पाईलेट बनके अपने पापा का सपना पूरा करना चाहती थी। इसलिए उसने एन.सी.सी. अल्फा ग्रेड-सी सर्टिफिकेट किया ओैर डायरेक्ट एन.डी.ए. में सलेक्ट हो गई। अब शिवी के अरमानों को पंख लग गये थे, उसका ध्यान हमेशा अपने लक्ष्य पर रहता। इसी बीच ट्रेनिंग के दौरान जब पहली बार लड़ाकू विमान उड़ाने का अवसर मिला शिवी आसमान पर थी और जमीन पर मिश्रा जी व अनामिका के सामने इतिहास दोहराया जा रहा था उनकी साॅंसें थम गई थी।


उधर रोमांचित शिवी विमान संचालन के दौरान तकनीकी खराबी के चलते नियंत्रण खो बैठी। वो घबरा गई पर तभी उसका हाथ अचानक लीवर 6 पर और फिर लीवर 2 पर हरकत करता है देखते ही देखते मात्र तीन सेकेण्ड में तीन हजार फिट की ऊँचाई से विमान वापस रनवे पर आ जाता है। शिवी को गर्म साये का एहसास होता है और विमान को संभाल लेती है, पर विमान की कलाबाजियाँ देख मिश्रा जी की दिल की धड़कन रूक जाती है। शिवी को इस साहस पूर्ण कार्य के लिए पुरूस्कृत किया जाता है।


अनामिका को अब शिवी की शादी की चिन्ता सताने लगी पर शिवी ने बचपन से ही अपने माँ के प्रति पुरूषों की बत्तमीजियाँ बर्दाश्त की थी तथा उसके मन में पुरूष जाति के लिए सम्मान नहीं था और फिर भारतीय वायुसेना में शादीशुदा महिलाओं को फाईटर पाईलेट का मौका नहीं दिया जाता इस लिए दस साल शादी न करके देश की सेवा करने का शिवी ने प्रण लिया था। धीरे-धीरे सब सामान्य हो गया था पर तभी शिवी को चीन की सेना द्वारा घुसपैठ की जवाबी कार्यवाही का आदेश हुआ।


पूना एयर बेस से लड़ाकू विमान लेके फ्लाईट लेफ्टिनेंट शिवी चीनी सेना को जवाब देने आसमान में उड़ी और उसके लिए गर्व की बात थी। कुछ महापुरूष गन्दी राजनीति में लिप्त रिश्वत लेके देश को लूटते रहते है तथा, सेना को सशक्त और शक्तिशाली बनाने की बजाये मौज मस्ती में मशरूफ रहते है। ये उनके लिए शर्म की बात है कि देश की बेटी दुश्मनों को धूल चटा रही है और वह डींगें मार रहे थे बस।


जब शिवी चीन का एक विमान मार गिराती है तो भारतीय महिलाएँ अपने पतियों को ताना मारती है और देश भर के लोग शिवी की वीरता की तारीफ करते नहीं थकते। पर एक माँ के दिल पर क्या गुजर रही थी यह कोई और नहीं समझ सकता। पहले पति खोया फिर पिता की मौत और अब बेटी भी मौत से आँख मिचौली खेल रही थी। अकेले शिवी ने चार घण्टे में 12 लड़ाकू विमान मार गिराये उधर अन्तर्राष्ट्रीय दबाव तथा रूस का भारत का साथ देने से चीन घबरा गया और युद्ध विराम की घोषणा कर दी।


इधर दिल्ली में राष्ट्रपति द्वारा शिवी को वीरता चक्र तथा अतिविशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया। सभी पत्रिकाओं और अखबारों के माध्यम से शिवी और अनामिका का जीवन संघर्ष समाज के सामने आया। कभी जिस बिन ब्याही माँ अनामिका को लोग ताने मारते, उसकी बेबसी को मनोरंजन का सामान समझते थे वह आज भारत तथा विश्व में साहस व आत्मबल का प्रेरणा स्रोत बन चुकी थी। पर इन सबसे उसकी उजड़ी जिन्दगी का गम तो कम नहीं हो सकता था।


दस साल देश की सेवा के बाद शिवी ने सेना की नौकरी से त्याग पत्र देकर माँ की खुशी के लिए एक गरीब समझदार स्वावलम्बी अध्यापक युवक मनोज वाजपेयी से शादी कर ली और माँ की सेवा करके पिता की यादों के सहारे खुश रहने लगी।


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