चाबियों का गुच्छा
चाबियों का गुच्छा
एक दिन हमारी दुकान में एक युवक हाथ में चाबियों का एक बडा सा गुच्छा थामे अंदर आया और हमारी गाड़ी का नंबर बताकर बोला "सर । मैं पार्किंग से आया हूं । आप जरा अपनी गाड़ी साईड में कर लें या मुझे चाबी दे दें । मैं ढंग से लगा देता हूं । "
' तुम्हे पहले तो पार्किंग में देखा नहीं ' पापा जी ने पूछा ।
' मुझे ठेकेदार ने अभी नया - नया रखा है' युवक ने जवाब दिया । उसके हाथ में ढेंरो चाबियां देखकर पापा ने बिना शक उसे गाड़ी की चाबी दे दी ।
काफी देर तक जब चाबी वापस नही लाया तो पापा ने स्टाफ से बाहर पता कारवाया । उन्होने आकर बताया कि बाहर न तो गाड़ी है और न ही वह युवक । इस पर पापा ने तत्काल पुलिस को सूचित कर दिया । संयोग से गाड़ी में पेट्रोल नाम मात्र ही था । तो गाड़ी हमको शाम को ही थोडी दूर पर मिल गई| हमे यह सीख मिल गई कि कभी भी अधूरे परिचय के आधार पर किसी पर विश्वास नही करना चाहिए ।
