Gaurav Chhabra

Comedy Drama

2.5  

Gaurav Chhabra

Comedy Drama

चाभी और करवाचौथ का उपहार

चाभी और करवाचौथ का उपहार

2 mins
429


लोग कभी-ना-कभी, कुछ-न-कुछ भूलते ज़रूर हैं। कुछ लोग कोई बात बोलना भूल जाते हैं, कुछ कहीं कुछ कहकर भूल जाते हैं, कोई कुछ रखकर भूल जाते हैं और कुछ तो हर कुछ ही भूल जाते हैं इत्यादि। इनमे से मेरी श्रेणी कुछ रखकर भूल जाने वालों की हैं और यह समस्या पैदाइशी है तो जाहिर सी बात है कुछ-ना-कुछ परेशानी तो हर रोज होती है पर मज़ा भी आता है।

खैर कभी-कभी कुछ भूल कर कुछ फ़ायदा भी हो जाता है जैसा कि मेरे साथ करवाचौथ वाले दिन हुआ।

सुबह हमेशा की तरह बेहद खुशनुमा थी। मैं ऑफिस जाने की तैयारी कर रहा था और आदतन गाड़ी की चाबी कहीं रखकर भूल गया। जैसा की साधारण लोग जल्दी उठने और तैयार होने में देरी कर ही देते हैं, "जल्दी करो तुम्हारी वजह से मैं फिर लेट हो जाऊँगा।

"खुद आधे घंटे से पेपर लिए बैठे हो, मुझ पर मत खफा हो, ऊपर से यह कुकर ठीक नहीं चलता, कितनी बार कहा हैं नया लाकर दो।"

औसतन घरों में सुबह-सुबह इस तरह के सुंदर और प्रेम भरे वार्तालाप होना जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। चूंकि मैं भुलक्कड़ तो हूँ ही इसलये अब पूरा घर गाड़ी की चाभी ढूंढ रहा था। चाभी तो मिली नहीं क्योंकि वो तो कल रात से गाड़ी में ही लगी हुई थी पर इस ढूंढने की जद्दोजहद से अलमारी के नीचे दबे तीन महीने पहले गुमे हुए १००० रुपये ज़रूर मिल गए और श्रीमती जी के लिए करवाचौथ के उपहार का इंतज़ाम हो गया, मन में सोचा अच्छा हुआ फिर भूल गया चाभी


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