बंटवारा
बंटवारा
एक गांव में एक सेठ जी रहा करते थे। सेठ जी के दो बेटे थे एक शहर में रहता था दूसरा सेठ जी के साथ गांव में रहा करता था। सेठ जी की गांव में जमीन हुआ करती थी उस जमीन पर अच्छी फसल हुआ करती जिसे सेठ जी शहर में मंडी में बेच कर अच्छा खासा मुनाफा कमा लिया करते। लेकिन समय के साथ सेठ जी भी बुजुर्ग होते जा रहे थे और जमीन में पानी की कमी भी होने लगी थी , पानी नहीं होने के कारण फसल होना बंद हो गई तो सेठ जी अपने काम से सेवानिवृति लेकर अपनी पत्नी के साथ गांव में सुखी सुखी जीवन बिताने लगे । सेठ जी रोज सुबह जल्दी नहा लेते मंदिर जाकर पूजा पाठ करते फिर दिन भर अपने दोस्तों के साथ बैठकर गपशप मारा करते । सेठ जी के दिन अच्छे गुजर रहे थे लेकिन फिर एक दिन उनका शहर वाला बेटा सेठ जी के पास आया और व्यापार में घाटा होने का राग अलापने लगा और सेठ जी को अपनी ज़मीन बेच देने के लिए गिड़गिड़ाने लगा । बेटे को मुसीबत में देख सेठ जी के पास जो कुछ भी था जमीन गहने सब बेचकर दोनों बेटों में बराबर का बंटवारा कर दिया । इसके आगे जो होने वाला था उसका तो सेठ जी को भी अंदाजा नहीं था। सेठ जी की जायदाद के साथ ही दोनों बेटों ने अपने मां बाप का बंटवारा भी कर दिया। मां गांव वाले बेटे के हिस्से में और पिताजी शहर वाले बेटे के हिस्से में आए । जीवन के अंतिम सफर पर यूं पति पत्नी का एक दूसरे से अलग हो जाना मानो शरीर से प्राण अलग हो गए हो। शहर में सुख सुविधाएं तो थी पर उन सब से सेठ जी का कोई वास्ता नहीं था सेठ जी का मन तो बस गांव में बसा हुआ था । सेठ जी अपने अंतिम समय में अपनी पत्नी और गांव छूट जाने के कारण से काफी दुखी रहने लगे। दिनों दिन उनकी तबीयत बिगड़ती जा रही थी । आखिर फिर एक दिन सेठ जी को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा उनकी हालत इतनी बिगड़ चुकी थी की उन्हें ICU में भर्ती किया गया । ICU वार्ड का खर्चा बहुत आते देख बेटे ने सोचा वैसे भी पिताजी तो बुजुर्ग है इनके ऊपर क्यूं इतना खर्चा किया जाए और अगर इस उम्र में चल बसे तो भी उनकी मौत का क्यूं इतना शोक मनाना सोच के सेठ जी को सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया । सामान्य वार्ड में सेठ जी को श्वास लेने में काफी दिक्कत हो रही थी लग रहा था जैसे उनकी श्वास नली रुक सी गई हो और इसी जद्दोजहद के बीच कुछ ही पलों में सेठ जी इस दुनिया को अलविदा कह गए । ।
