Ladly priya

Tragedy

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Ladly priya

Tragedy

"भजन और भोजन"

"भजन और भोजन"

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एक सेठ के घर के बाहर खड़ा होकर एक भजन गा रहा था और बदले में खाने को रोटी मांग रहा था । सेठानी काफी देर से उसको कह रही थी कि आ रही हुँ । रोटी हाथ में थी पर फिर भी कह रही थी कि रुको आ रही हुँ । भिकारी भजन गा रहा था और रोटी मांग रहा था ।

सेठ ये सब देख रहा था । पर समझ नहीं पा रहा था । आखिर सेठानी से बोला," रोटी हाथ मे लेकर खड़ी हो , वो बाहर मांग रहा है , उसे कह रही हो जा रही हुँ तो उसे रोटी क्यों नहीं दे रही हो ?"

सेठानी बोली , " हां रोटी दूंगी , पर क्या हे ना कि मुझे उसका भजन बहुत प्यारा लग रहा है । अगर उसको रोटी दूंगी तो वह आगे चला जायेगा । मुझे उसका भजन और सुनना है । "

यदि प्रार्थना के बाद भो भगवान आपकी नहीं सुन रहे है तो समझना कि उस सेठानी की तरह भगवान को भी आपकी प्रार्थना प्यारी लग रही है । इसलिए इंतज़ार करो और प्रार्थना करते रहो । 

जीवन में कैसा भी दुख और कस्ट आये लेकिन भक्ति मत छोड़िये । क्या कस्ट आता है तो आप भोजन करना छोड़ देते है ? क्या बीमारी आती है तो आप सांस लेना छोड़ देते है ? नहीं ना ? फिर जरा सी तकलीफ आने पर आप भक्ति करना क्यों छोड़ देते है ? 

कभी भी दो चीज मत छोड़िये । भजन और भोजन । भोजन छोड़ दोगे तो जिंदा नहीं रहोगे और भजन छोड़ दोगे तो कहीं के नहीं रहोगे । सही मायने मे भजन और भोजन दोनो ही आवश्यक है । 

           


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