भारत भारती और कोरोना
भारत भारती और कोरोना
पहला दृश्य
पर्दा खुलता है
रात के 11:30 का समय है, भारती अस्पताल से आकर अपने डाइनिंग रूम में डिनर कर रही है, सामने टेबल में न्यूज़ पेपर पड़ा है जिस पर वह खाना खाते खाते नजर मार रही है। सामने टी वी पर न्यूज़ आ रही है जिसमें कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार के द्वारा अडवाइजरी जारी की गई है। WHO ने इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया गया है। प्रधानमंत्री लोगों से बच कर रहने एवं कोरोना वायरस से न डरने की अपील कर रहे हैं। तभी पीछे से आवाज़ आती है, "भारती क्या तुमने खाना खा लिया, यदि खाना हो गया हो तो बैडरूम में आ जाओ, शिवांश तो तुम को पूछते पूछते सो गया पर मुझे पता नहीं क्यों आज नींद नहीं आ रही" भारती के पति ने प्यार भरे उदास स्वर में उसे आवाज़ देते हुए कहा।
"ये डॉ. की नौकरी कितनी मुश्किल की होती है, न टाइम से खाना खा पाना, ना परिवार को टाइम दे पाना और तो और इमरजेंसी में तो घर आ पाना भी मुश्किल हो जाता है" भारती के पति संयम बिस्तर पर से बुदबुदा रहे हैं। तभी "ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग" की घंटी बजती है।"
"माम्, होस्पिटल में एक इमरजेंसी केस आया है, डॉ सिंह का कॉल नहीं लग रहा, डॉ सलीम लीव पर हैं बाकी डॉ अपने शेड्यूल में व्यस्त हैं आप जल्दी आ जाइये।" भारती से ऐसा कहते हुए नर्स ने फोन रख दिया।
अब भारती के मन में एक अंतर्द्वंद चल रहा था यहां पति का स्वास्थ्य ठीक नहीं लग रहा, वहां हॉस्पिटल में पेशेंट मृत्यु और जीवन की लड़ाई लड़ रहा था।
आखिर भारती ने तुरंत हॉस्पिटल जाने का निर्णय लिया और पति को समझा बुझा कर हॉस्पिटल चली जाती है।
पर्दा गिर जाता है
दूसरा दृश्य
रात्रि के 12:30 मिनिट डॉ भारती अपने हाथों में ग्लब्स और मुंह में मास्क लगाए हुए एक ऐसे पेशेंट की जांच कर रही हैं जिसे 105 डिग्री का बुखार है और वह सर्दी जुखाम से पीड़ित है। "यह covid19 की जांच जब तक नहीं आती पेशेंट को आइसोलेशन वार्ड में रख कर विशेष उपचार दिया जाएगा, और किसी भी परिजन को मरीज से नहीं मिलने दिया जाएगा" डॉ भारती ने सभी नर्सों एवं उपस्थित परिजनों को समझाते हुए कहा।
कुछ ही समय में इतने मरीज अस्पताल में आते हैं कि पूरे अस्पताल के बेड फुल हो जाते हैं। डॉ सलीम को अस्पताल के बारे में जानकारी दी जाती है जिससे डॉ सलीम ने अपनी लीव कैंसिल कर ली है। आज डॉ भारती हर एक मरीज चाहे वह रजिया हो या रवि और डॉ सलीम हर एक मरीज चाहे वह सलमा हो या सकुन का इलाज पूरी ईमानदारी से हमेशा की तरह कर रहे हैं बस नहीं दिख रहा तो टेलीविजन पर वह हिन्दू मुस्लिम वाला उकसाऊ भाषण, शायद कोरोना की इस परीक्षा में सभी को समझ में आ गया है कि इस लड़ाई में सबको एक साथ मिल कर ही लड़ना होगा, तभी जीत संभव है।
डॉ भारती डॉ की एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाती हैं।
पर्दा गिरता है।
तीसरा दृश्य
पर्दा उठता है
सात दिन बाद की सुबह 7:00 बजे, सारे स्कूल कॉलेज बन्द हैं। अस्पतालों में भीड़ लगी है, लोग घरों से निकलने से डर रहे हैं मार्केट आज तक के सबसे निचले स्तर पर है।
डॉ भारती अपने घर आई हुई हैं और बाथरूम में हैंडवाश कर रही हैं तभी उनका फ़ोन बजता है।
"भारती, तुम्हारा फ़ोन बज रहा है लेकर आऊं क्या।" भारती के पति ने आवाज़ दी।
"नहीं।" प्लीज फ़ोन मत छूना, पहले मैं उसे ठीक से साफ करूँगी। भारती ने आवाज़ लगाते हुए कहा।
बाथरूम से आकर भारती ने फोन को ठीक से साफ करने के बाद देखा तो उनकी सहेली प्रकृति का मिस्ड कॉल था।
हां, प्रकृति कैसी हो, कैसे याद किया। डॉ भारती ने फोन पर अपनी दोस्त से पूछा।
भारती, मैं प्रकृति का पापा बोल रहा हूँ और तुम्हारे ही अस्पताल में अभी अभी प्रकृति को भर्ती कराया गया है, बेटा प्लीज जल्दी हॉस्पिटल आ जाओ। फोन पर आवाज़ आई।
चौथा दृश्य
सुबह के 4: बजे हैं, अभी अभी डॉ भारती की सहेली प्रकृति की मौत हो गई है जिसे अस्पताल से बाहर ले जाया जा रहा है, वहीं डॉ सलीम भी इलाज करते करते कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं और उन्हें भी एडमिट कर लिया गया है अब डॉ भारती सहम गयी हैं जैसे उनका आत्मविश्वास डगमगा गया हो।
अब हम ये लड़ाई कैसे जीतेंगे, बाहर शहर के लोग इस बीमारी को सीरियस नहीं ले रहे, कितने सारे लोग तो इस वायरस का मज़ाक बनाने में लगे हैं अगर जल्द ही सभी को इस बीमारी से सावधान नहीं किया गया तो देखते देखते बाकी देशों की तरह ये बीमारी पूरे भारत देश को निगल जाएगी। आज हर मोबाइल की कॉलर ट्यून में भारत सरकार द्वारा कोरोना वायरस से बचाव के बारे में बताया जा रहा है पर हर कोई इसे नजर अंदाज़ कर रहा है।
तभी अचानक से आवाज़ आती है " डॉ बेड नम्बर 17 की सांसे रुक रहीं हैं, वह सांस नहीं ले पा रहा जल्दी चलिए।" नर्स ने आवाज़ लगाते हुए कहा।
डॉ भारती दौड़ कर वार्ड में प्रवेश करती हैं और इंस्ट्रक्शन देने लगती हैं पूरा अस्पताल जैसे गतिमान था चारों ओर चीख पुकार थी, लोग बेचैन थे, भर्ती के लिए कतार लगी थी, वहीं रोते बिलखते कुछ परिजन लाशों को बाहर निकाल रहे थे। आज ऐसा पहली बार हुआ था, जब डॉ भारती के सामने से उसके अस्पताल से इतनी अधिक लाशें निकल रही थी और वह कुछ नहीं कर पा रहीं थीं।
डॉ भारती जैसे आज अकेली ही पड़ गई थीं उन्हें अस्पताल में भर्ती मरीजों से ज्यादा बाहर घूम रहे लोगों की थी क्योंकि उन लोगों में उनके पति उनके बेटे और सभी सगे संबंधी थे, वे सोच रहीं थीं कि हालात बिगड़े तो वे कुछ नहीं कर पाएंगी। अब उन्हें उम्मीद थी तो बस एक जागरूकता की क्रांति की जिस पर हर भारतीय को भरोसा हो कि आज सतर्क होने की जरूरत है।
डॉ सलीम को होश आ गया है और अब वो ठीक महसूस कर रहे हैं।
पर्दा गिरता है।
पांचवां दृश्य
पर्दा उठता है
रात 10 बजे अस्पताल का वार्ड नं 12 डॉ भारती मरीजों के साथ वीडियो बना रहीं हैं जिसमें मरीज लोगों को सतर्क होने और न घबराने का सुझाव दे रहे हैं और उन्हें बीमारी कैसे हुई बता रहे हैं। इन मरीजों के वीडिओज़ को देखकर तो जैसे देश में क्रांति ही आ गई लोगों को भरोसा हो गया था कि यह बीमारी रोकना बहुत जरूरी है। साथ ही साथ लोग पूरी तरह से सतर्क होने लगे थे चाहे वह अस्पताल हो या घर। धीरे धीरे अस्पताल में मरीज आना कम हो गए। भार कम होने पर डॉ को इलाज करने में आसानी हुई और मरीज ठीक भी होने लगे, क्योंकि अब हर व्यक्ति हाथ मिलाने की बजाय नमस्कार करता था, मुंह में मास्क लगा कर बाहर निकलता था, किसी को खांसी बुखार या जुखाम हो तो वह खुद की जांच तुरंत डॉ से कराता था और तो और शासन ने इतने पुख्ता इंतज़ाम किए थे कि विदेश से आने वाले नागरिक की पहले जांच होगी साथ ही साथ हर शहर में मुफ्त कोरोना जांच केंद्र भी बना दिए गए हैं।
कुछ ही दिनों में भारत कोरोना मुक्त भारत हो गया। भारत सरकार ने डॉ भारती जैसे 100 से अधिक डॉ को सम्मानित किया और इस प्रकार डॉ भारती और भारत दोनों कोरोना वायरस से जीत गए।
पर्दा गिरता है