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Abdul Qadir

Action

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बगुला ठग

बगुला ठग

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प्राचीन काल की बात है उज्जैन में एक नल सरोवर नाम का तालाब था जिसमें। बहुत सारी मछलियां और पशु पक्षी अपना जीवन यापन करते थे और सभी रहा करते थे। एक दिन की बात है। उसी तालाब में एक। दुष्ट बगुला बिरहा करता था जिसके दिमाग में नए-नए विचार उपज लिया करते थे और वह आलसी होने के कारण कोई काम नहीं करना चाहता था वह। एक जगह बैठ कर के भोजन प्राप्त करना चाहता था।

 1 दिन बगुले के दिमाग में एक युक्ति सूझी और उसने एक माला ले ली और उस पर राम राम जपना शुरू कर दिया। मछलियों ने देखा कि बगुला एक पैर पर खड़ा होकर के माला फेर रहा था जिससे मछलियां सोचने लगी कि यह कोई महान संत है और सभी उसके आसपास खेलने लगी।

बगुला मछलियों को देखते हुए बोला हम से डरो नहीं हम राम-राम करने वाले साधु संत हैं हम किसी को भी हानि नहीं पहुंचा सकते।

मछलियों ने बबली से कहा कि यह भी तो हो सकता है कि तुम हमें मूर्ख बना करके। खा जाना चाहते हो।

 नहीं नहीं मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा तुम लोग डरो नहीं। कई दिनों तक बगुला को ऐसा देखकर सभी मछलियों ने यह सोचा शायद सही ही हो किया अब बाबा हो गया हो।

1 दिन की बात है जब मछलियां उसके पैरों के पास खेल रही थी तो बगुला ने बड़े ध्यान से उन्हें देखा और चोंच मार दी जिसमें एक मछली आकर फँस गई।

मरती हुई मछली ने अंतिम समय पर यह वाक्य कहा।

उज्जर बदन मलमलीन एक ही पग से थाड़, 

मैं जानू कोई संतु है पर है पूरा ठग हार।


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