Gurmeet Malhotra

Inspirational Children

4.0  

Gurmeet Malhotra

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बड़ी उम्र के छोटे छोटे काम

बड़ी उम्र के छोटे छोटे काम

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पिछले कुछ हफ़्तों से घर पर कुछ काम चल रहा था। कुछ चीजें मरम्मत मांग रही थी, तो कुछ नई भी बन रही थी। घर में सब तरफ धूल मिट्टी और लकड़ी का बुरादा फैला हुआ था। इसी चक्कर में दिन में दो दो बार सफाई करनी पड़ रही थी। एक बार की सफाई में ही जब हालत खराब हो जाती है तो दो दो बार की सफाई में क्या हालत होती होगी इसका अंदाज ग्रहणियाँ लगा सकती होंगी। खैर , कहते है ना कुछ पाने के लिए कुछ देना भी तो पड़ता है। स्वभाव का चिढ़ चिढ़ा होना स्वाभाविक ही था पर खुद पर नियंत्रण रखने की कला इतने सालों में थोड़ी बहुत तो आ ही गई थी। इसे और सुधारने का एक मौका मिला था।

जो कारपेंटेर हमारे घर पर काम कर रहे थे वे काफी बुजुर्ग थे। उनकी उम्र करीब करीब 70 साल की होगी। इस उम्र में भी ये सब कुछ अकेले ही कर रहे थे। उनका स्वभाव बड़ा ही विनम्र था। बड़ी ही धीमी आवाज में वे बात करते। उनके इस गुण को देख में खुद को समझाती की वे भी तो इस उम्र में इतनी मेहनत का काम कर रहे है। अकेले सब कुछ कर रहे है, फिर भी उन में कितनी नम्रता है। जीवन में अपने आस पास ही या अपने संपर्क में आने वाले लोगों से ही हमें बहुत कुछ सीखने का मौका मिलता है। ये अनुभव हमें खुद को बदलने में सहायक होता है। जरूरत है तो केवल उन्हें देखने, समझने और अपनाने की। एक छोटा सा बदलाव हमारे जीवन में बहुत बड़ा अंतर ला सकता है, हमें और बेहतर बना सकता है।

इसी कारपेंटेर ने पहले भी हमारा काम किया था, कुछ सालों पहले। उनका काम बहुत ही अच्छा था। वे अपने काम को पूरे समर्पण से करते। उनके काम और स्वभाव की वजह से ही उन्हें दोबारा बुलाया था।

15 दिन हो चुके थे उन्हें काम करते, कभी जब ज्यादा मुश्किल काम होता तो वे अपने बेटे को साथ ले आते। उनका बेटा भी उन्हीं की तरह शांत और शालीन स्वभाव का था। दोनों में बड़ा सामंजस्य था। एक साथ घंटों काम करते पर कोई ऊंची आवाज नहीं आती, ना ही कोई मतभेद होता। पिता बेटे से कुछ करने को कहते और वो तुरंत उसे कर देते। ये दृश्य भी कम ही देखने को मिलता है आजकल। ये सब देख इस बात का भी अंदाज लग गया था की उन्होंने अपने बेटे को अच्छी कारीगरी के साथ साथ अच्छे संस्कारों की भी विरासत दी है।

एक दिन की बात है, आज वे अपने बेटे को साथ लाए थे। सुबह में जैसे ही वे आए उन्होंने अपने बेटे को अपना काम दिखाया और कहा, “ये देखो, ये सारा मैंने अकेले ही किए है।" इतना कहते ही उनका चेहरा खुशी और गर्व से चमकने लगा। बेटा उनकी इस बात पर कुछ नहीं बोला केवल उन्हें देख मुस्कुरा दिया। मैं वहीं कमरे के बाहर खड़ी ये सब देख सुन रही थी। उस समय में वहाँ से चली गई और वे दोनों आपने काम में लग गए।

जब मैं किचन में काम कर रही थी, उनकी बात मुझे बार बार परेशान कर रही थी। में समझ नहीं पा रही थी की उन्होंने आपने बेटे से ऐसा क्यूँ कहा की ये देखो ये सारा मैंने अकेले ही किया है। ऐसा काम तो वे सालों से कर रहे थे, या शायद इस से भी बड़े बड़े काम किये होंगे। फिर आज उन्हें इतना गर्व किस बात का हो रहा था। थोड़ी मशक्कत करके मैंने इस पहेली को सुलझा लिया।

इस पहेली का जवाब कुछ ऐसा था – पहले जब वे काम करते थे तब वे इतने बुजुर्ग नहीं थे। तब वे ऐसे काम करने में काफी सक्षम थे। उम्र कम होगी तो ताकत ज्यादा होगी, हिम्मत भी दुगुनी होगी ओर तेजी भी। इससे आधे समय में ही वे कई गुना ज्यादा काम कर लेते होंगे। पर अब जब उम्र बढ़ चुकी थी तो ताकत कम हो गई थी, तेजी और रफ्तार भी तो धीमी हो चुकी थी। इतनी सारी चुनौतियों के बीच रहकर जब आप कोई काम करते है तो उसकी भी एक अलग शान होती है। जिस उम्र में शारीरिक मेहनत को सोच कर ही थकान हो जाती है, उस उम्र में इतनी मेहनत का काम करना वाकई गर्व की बात होती है। पहले इसी काम को करने से पहले उन्हें सोचना नहीं पड़ता होगा, परंतु आज उन्हें सोचना पड़ता होगा की क्या कैसे करेंगे, कर भी पाएंगे या नहीं। उन्हें अपनी इसी कामयाबी का गर्व था की उन्होंने हिम्मत की और वे इस काम को पूरा कर पाए।

अपने बेटे से इस बात को कहने का तात्पर्य केवल इतना ही होगा की - मुझ में आज भी हिम्मत और हौसला है काम करने का। वे केवल अपनी इस कामयाबी को बेटे के साथ बांटना चाहते होंगे। खुद की थोड़ी सी प्रशंसा कर वे अपने मनोबल को ताकत देना चाह रहे थे। खुद पर उनका ये विश्वास ही उनसे ये काम करवा पाया। इंसान तब नहीं हारता जब कोई उसे हराता है, इंसान तब हारता है जब वो खुद की कमजोरियों से हारता है।

उम्र का ये पड़ाव बहुत ही संवेदनशील होता है। शरीर धीमे धीमे अपनी गति को कम करने लगता है। हौसले भी दम तोड़ने लगते है, खुद पर विश्वास भी डगमगाने लगता है और भी कई ऐसी चुनौतियों का सामना करती है ये उम्र। कुछ तो नजर आती है, पर कुछ अंदर बहुत गहरे में रहती है। इस मुश्किल दौर में यदि कोई आपके साथ आपकी हिम्मत को न बँधाये तो खुद ही ये काम कर लिया करें। ये जीवन आपका है इसे कैसे जीना है ये आप तय करेंगे। केवल सकारात्मक सोच ही आपको इस मुश्किल वक्त से बाहर निकाल सकती है।


जहां होगी एक सकारात्मक सोच,

वो जीवन कभी न होगा किसी पे बोझ।


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