बालिका वधू

बालिका वधू

2 mins
838


चारों तरफ ख़ुशी का माहौल था। बारात घर के सामने आकर लगी हुई थी। बराती सारे धूम मचा रहे थे। इधर महिलाएं गीत गा रही थी। नृत्य कर रही थी। दुल्हे राजा मंडप पर पंडित जी के साथ बैठ कर पंडित जी के इशारे पर मंत्र पाठ रहे थे। बार-बार बोल रहे थे ,शुभ मुहूर्त की घड़ी बीती जा रही है। जल्दी करके दुल्हन को शादी मंडप में लाया जाए।

माँ के कदम तेजी से दुल्हन की रूम की तरफ बढ़े। वो अवाक रह गयी। मां बहुत परेशान थी। अभी तो अपनी बच्ची को यहां पर उसकी दोस्तों के साथ सजने के लिए रखकर गई थी। कहाँ गयी? वहां से गुड़िया गायब थी। गुड़िया के माता-पिता परेशान हो गए। मन में अनगिनत शंकाओं के बादल मडराने लगे। कहीं गुड़िया भाग तो नहीं गई ?

पंडित जी बार-बार बोल रहे थे ,शुभ मुहूर्त की घड़ी बीती जा रही है। कहाँ है दुल्हन ? जल्दी लाइए। माता बाप के सर पर पसीने के बादल छाने लगे। माँ को चक्कर आने लगे। बाप को अपने नाक की चिंता थी, माँ को गुड़िया की।

अचानक उनका छोटा बेटा गोलू दौड़ते हुए आया। माँ वो मिल गई है। चलो मेरे साथ। घर के सामने बराती नृत्य कर रहे थे। पास ही एक पेड़ पर चढ़कर 3 लड़कियाँ नृत्य का आनंद ले रही थी । गुड़िया उनमें से एक थी। दुल्हन की उम्र तकरीबन 9 साल थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy