बाल-विवाह एक अलग सच्चाई
बाल-विवाह एक अलग सच्चाई


कहते हैं गरीबी सबसे बड़ा अभिशाप है।
हमारे घर के पास एक बहुत गरीब परिवार रहता था। स्कूल से आते जाते अनायास ही मेरी नज़र उस घर की तरफ चली जाती थी। पाँच लोगों का परिवार एक छोटी सी झोपड़ी में रहता था। वे इतने गरीब थे की उनके पास खाने पीने के भी पैसे नहीं थे। इस परिवार के तीन बच्चे अपनी माँ और शराबी पिता के साथ रहते थे। पिता आये दिन शराब के नशे में धुत पड़ा रहता, और माँ किसी तरह इधर उधर काम करके दो रोटी का जुगाड़ करती थी। साल में बस तीज त्यौहार पर उन्हें नये कपड़े और अच्छे पकवान कुछ संगठन दे जाते थे।
एक दिन कोई त्यौहार तो नहीं थी पर मैंने देखा की उनके परिवार की सबसे बड़ी लड़की जो शायद मात्र 9-10 साल की थी बहुत अच्छे कपड़े पहनकर चहक रही थी। वो पतली दुबली सी लड़की अभी काफी हष्ट पुष्ट दिख रही थी और बहुत खुश थी।
कोतुहलवस मैं वहाँ रूक गई और वहाँ खड़े लोगों की बातें सुनने लगी। पता च
ला की अभी कुछ दिन पहले ही उसकी शादी हुई है। उसके पति का अच्छा व्यापार है। उसके घर के सब लोग बहुत खुश हैं। सर पर छत, खाने के लिए पेट भर खाना और तन ढ़कने को कपड़ा मिल जाये तो और क्या चाहिए एक गरीब की बेटी को।
इतनी छोटी सी उर्म में शादी होना ही मुझे अचम्भित कर रहा था। पर इसके आगे जो मैंने सुना उसे सुन कर मेरे रोंगटे खड़े हो गये। उस लड़की का पति 60-70 साल का था, शायद उसके पिता से भी बड़ा।
उस समय मैं जीवन के एक अलग ही सत्य से अवतरित हुई। अपने देश में भूख और गरीबी की कैसी विडम्बना है, की पेट भर भोजन के लिए लोग किसी भी सीमा तक समझौता कर लेते हैं। जब तक देश में भूख और गरीबी का ऐसा हाल रहेगा अपना देश आगे कैसे बढ़ेगा। हम चांद तक पहुंच गये हैं, पर अपनी धरती पर बहुत कुछ बदलाव बाकी है। काश जल्दी ही स्थिति बदले और फिर देश की किसी लड़की को पेट भर खाने के लिये ऐसा समझौता ना करना पड़े।