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Ajay Khavad

Inspirational

4.3  

Ajay Khavad

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बाल मानस

बाल मानस

3 mins
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संजय की नौकरी ३ साल पहले शहर में लगी थी वह उसकी पत्नी इंदु और पुत्र केशव के साथ सरकारी क्वार्टर में रहता था।संजय के पास शांत और धर्यवान स्वभाव का आधिपत्य था वह अफसर से लेकर चपरासी सभी से आदर से बात करता था। उससे परिचित सभी लोग उसके इस स्वभाव के कायल थे। इंदु ज्यादा पढ़ी लिखी न थी पर वह अपने पत्नी और माता होने का कर्तव्य भली भांति जानती थी और निभाती थी। केशव अभी ११ साल का था वह केशव माने कुष्ण की तरह थोड़ा नटखट था पर पढ़ाई में अव्वल था।


सुबह का समय है। केशव अपने दोस्तों के साथ पाठशाला के मैदान में पेड़ के नीचे बैठा है। यहां चर्चा का विषय है पिता।

केशव अपने पिता के बारे में कहता है उनके पास बहुत तेज चलने वाला स्कूटर है वह अक्सर मकरसंक्रांति में सबसे ज्यादा पतंगे काटते हैं और वे क्रिकेट भी बढ़िया खेलते हैं और आगे कहता है मेरे पापा तो सुपर हीरो है।


आज संजय अपने स्कूटर पर केशव को पाठशाला छोड़ने जा रहा था तभी अचानक से सामने से एक युवक अपने स्कूटर पे से काबू गुमा कर संजय के साथ टकरा गया भगवान की दया से केशव और संजय तथा उस युवक को किसी भी प्रकार का नुक़सान या इजा न थी पर युवक गुस्से में संजय के पास आकर उसे जोर से थप्पड़ लगाता है और दो चार गाली बककर चला जाता है। संजय बिना कुछ बोले केशव के कपड़ों पे लगी धूल साफ करने लगता है और फिर से स्कूटर चालू कर के उसे पाठशाला छोड़ आता है। इस प्रसंग का संजय पर कोई असर नहीं हुआ मानो उसने उस युवक को मन से माफ कर दिया हो।पर इस प्रसंग का गहरा असर ११ साल के केशव पर था उसने जो सुपरहीरो वाली छवि अपने मन में बांध रखी थी वह पूरी तरह से नष्ट हो गई वह अब संजय से बात करने से भी कतरा रहा था वह अब संजय से दुर्व्यवहार करने लगा था।


संजय और इंदु केशव के इस बर्ताव से चिंतित थे क्योंकि वे नहीं जानते थे के इस के पीछे का कारण क्या है। संजय और इंदु सोचते है की केशव को घुमाने ले जाते हैं शायद उससे केशव का बर्ताव अच्छा हो जाएगा। संजय केशव को बुलाता है तभी दरवाज़े पे कोई युवक आता है। केशव और संजय उस युवक को पहचान लेते हैं, यह वही स्कूटर वाला युवक था जिससे उस दिन टक्कर हुई थी। वह युवक रोते हुए संजय के पैर पकड़ लेता है और कहता है मैंने उस दिन गुस्से में जो भी कुछ किया उसके लिए मुझे माफ करे। उस दिन से में आपको तलाश रहा हूं आपसे माफ़ी मांग कर अपने अशांत मन को शांत करना चाहता हूं कृपया मुझे माफ करें। संजय इंदु को चाय बनाने को कहता है और उस युवक से बड़े आदर से बात करता है और उसे कहता है तुम्हें माफ़ी मांग ने की कोई आवश्यकता नहीं और चाय पिलाकर उसे विदा करता है। केशव के बाल मानस पर फिर से संजय की सुपर हीरो वाली छवि ताज़ी हो गई और वह दौड़ लगाकर संजय की गोद में बैठ गया।



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