अपना घर
अपना घर
"बेटा, इतना अच्छा रिश्ता बार-बार नहीं मिलता। तुम शादी के लिए हाँ कह दो, लड़के की सरकारी नौकरी है।" माँ ने गीतिका को समझाते हुए कहा।
"माँ, मुझे इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स कर लेने दो। फिर जहाँ कहोगी, वहाँ शादी कर लूँगी।" गीतिका ने अपना पक्ष रखा।
"गीतू, ये कोर्स तू 'अपने घर' जा कर भी तो कर सकती है ना .? उम्र निकल गई तो अच्छे लड़के नहीं मिलेंगे।" माँ का तर्क भी अपनी जगह सही था। गीतिका उनके अनुरोध के आगे नत-मस्तक हो गई। बड़ी धूमधाम से उसकी शादी हो गई। कुछ समय बाद गीतिका ने सासू माँ से निवेदन किया, "मम्मीजी, मैं इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स करना चाहती हूँ, मैंने रजत से पूछ लिया है, उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। बस, आप अनुमति दे दीजिए।"
"देखो बहू, ये कोर्स वोर्स के चोंचले रहने दो, अपने परिवार में मन लगाओ। ये सब ही करना था तो 'अपने घर' करती।" सासू माँ ने स्पष्ट शब्दों में मना कर दिया।
गीतिका, आँखों में आँसू भर सोचने पर मजबूर हो गई,
"मेरा 'अपना घर ' आखिर है कौनसा ...?"