Professor Santosh Chahar

Inspirational

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Professor Santosh Chahar

Inspirational

अंशु

अंशु

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अंशु देहरादून के एक आवासीय विद्यालय में बतौर शिक्षिका नियुक्त थी। गौर वर्ण व तीखे नैन-नक्श, बातचीत में शालिनता और करीने से बांधी साड़ी सभी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए काफी था। अंशु ने विद्यालय के सभी छात्रों की सबसे प्रिय अध्यापक का खिताब यूं ही नहीं हासिल किया था। उसके पीछे था, छात्रों के प्रति असीम स्नेह, विषय में पारंगतता व मृदुभाषी स्वभाव। प्रकृति की गोद में बने इस विद्यालय की ख्याति पूरे देश में थी। अंशु को यहां कार्यरत हुए अभी तीन वर्ष का समय हुआ था कि जिंदगी ने उसकी खुशियों को छीन लिया। अंशु के पति कप्तान रविन्द्र को कश्मीर में आंतकवादीयों से लोहा लेते हुए शहादत प्राप्त हुई। अंशु की तो जैसे दुनिया ही उजड़ गई। रविन्द्र की कोई निशानी भी तो नहीं थी जिसके सहारे अपनी आगे की जिंदगी जीने का मकसद उसे मिल जाता। रविन्द्र दो बहनों का इकलौता भाई , सभी को गम के अंधेरों में छोड़कर ,देश की मिट्टी पर न्यौछावर हो गया। यद्यपि परिवार को उसकी शहादत पर गर्व था लेकिन मां की ममता, बाप के कंधों पर बेटे की अर्थी ,एक विधवा की उजड़ी मांग व बहनों की आंखों से बहती अश्रुधारा, हर ढ़ाढस बंधाने वाले की हिम्मत को कमजोर कर देती थी।

इस घटनाक्रम के एक महीने बाद अंशु व रवीन्द्र के परिवार के वरिष्ठ सदस्यों ने आपस में मुलाकात की और चर्चा का विषय था, अंशु के भावी जीवन के बारे में निर्णय लेने का। सलाह मशवरा करने पर ये तय हुआ कि अंशु के सामने बहुत लम्बी जिंदगी है और कि उसको मायके वाले ले जाना चाहें तो ले जा सकते हैं। अंशु के माता-पिता ने भी यही उचित समझा कि रविन्द्र की बरसी के पश्चात उसके पुनर्विवाह के बारे में सोचा जाएगा, तब तक अंशु का जख्म भी भर जाएगा। 

समय बीता और अंशु का जख्म भी भरता चला गया । उसने स्वंय को आवासीय विद्यालय में छात्रों के साथ इतना व्यस्त कर लिया कि बाहरी दुनिया से उसे अब ज्यादा वास्ता नहीं था। प्रकृति के अकूत सौंदर्य में निवास होने की वजह से अंशु के कोमल मन पर लगे घाव भरने में बहुत मदद मिली। वह अपने जीवन से संतुष्ट थी, एकाकी जीवन उसे रास आने लगा था लेकिन पिता के कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी। अंशु उनका हृदय थी और इसलिए सबसे अधिक चोट माता-पिता को लगी थी। जब भी वह छुट्टियां बिताने घर आती तो माता-पिता की कोशिश रहती थी कि कैसे उसे दूसरी शादी के लिए मनाया जाए। अंशु के मन में लेकिन एक सपना पल रहा था और वह उसे पूरा करने के लिए दृढ़संकल्पित थी।

देहरादून में विद्यमान,नेशनल डिफेंस एकेडमी देश के सर्वश्रेष्ठ अफसर मातृभूमि की रक्षा के लिए तैयार करती है। अंशु, देहरादून के आसपास के गांव में सप्ताहांत पर जाती रहती थी और उसे पता चला कि एन डी ए की तैयारी के लिए गांव के बच्चों को सुविधा उपलब्ध नहीं है जबकि बहुत से विद्यार्थी देशसेवा में जाना चाहते हैं। अंशु ने अब योजना बनाई कि तैयारी करने में वह कैसे इन बच्चों की मदद कर सकती है। रविन्द्र की याद में एक कोचिंग संस्थान बनाया गया जहां वह गांव के होशियार व जरुरतमंद बच्चों की निःशुल्क शिक्षा व्यवस्था करने लगी। इस कार्य के लिए उसने रिटायर्ड फौजी अफसरों से संपर्क किया ,जो खुशी खुशी इस नेक कार्य में शामिल हो गए...

आज संस्थान का सिल्वर जुबली कार्यक्रम है, जिसमें इसी संस्थान से पढ़कर अफसर बने सभी विद्यार्थियों को निमंत्रण भेजा गया था और आश्चर्यजनक संख्या में सभी श्रेणी के अफसरों की महफ़िल जमा थी। विशेष अतिथि के रूप में रविन्द्र के माता-पिता को आमंत्रित किया गया था। संस्थान का कार्य भार अंशु के माता-पिता ने संभाल रखा था। उन्होंने अपनी बेटी के सपने को साकार करने मे हर संभव मदद भी की थी, बेटी का सपना उनका सपना बन गया था।

कार्यक्रम आरंभ हो चुका था। विशेष उपलब्धि हासिल करने पर अफसरों को सम्मानित किया गया था, जो कि यहां से ही पढ़कर सेना में शामिल हुए थे। स्टेज पर कुछ मनमोहक प्रस्तुतियां दी गई। अंतिम प्रस्तुति में संस्थान की यात्रा को एक लघु फिल्म के रुप में प्रर्दशित किया गया। अंशु , आश्चर्य चकित रह गई जब पर्दे पर शहीद कप्तान रविन्द्र के बहादुरी के किस्से, उसका हंसता खिलखिलाता चेहरा, अंशु के साथ बिताए पहाड़ी वादियों की तस्वीरें दिखाई गईं। इन तस्वीरों को देखकर अंशु जो कि अब पचास साल की प्रौढ़ा हो चुकी थी, भावुक हो गई और साथ बैठी सास के कंधे पर सिर रख आंसू पौंछने लगी। तभी एक गाने की धुन ने उसका ध्यान आकर्षित किया

रविन्द्र गा रहा था, "ये दोस्ती हम कभी नहीं छोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम, मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे...."। ये वह क्लिप थी जो इन अफसरों ने देहरादून एकडेमी से जुटाई थी। फ़ौजी कल्ब की पार्टी में अंशु के साथ गाए गाने को देखकर सभी भावुक हो गए तो उसी समय सभी विद्यार्थियों/अफसरों ने अंशु को घेर लिया और एक सर्किल बना कर दुबारा गाने लगे..

"ये दोस्ती

हम कभी नहीं तोड़ेंगे

तोड़ेंगे दम, मगर

तेरा साथ नहीं छोड़ेंगे"


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