Ritik Malviya

Inspirational

4.2  

Ritik Malviya

Inspirational

अनकही कहानी

अनकही कहानी

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ये एक लड़के की कहानी है। जो खामोशी में कुछ गुमसुम सा और अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से अपने मन का हाल कुछ अन कहे अंदाज़ में बयान करता है। बेहद शांत स्वभाव वाला और अकेले रहने वाला, कुछ अजीब सा।

कहने को तो लोग अक्सर किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहना पसंद करते है, जो उनकी बातों को सुन सके और हसी ठिठोली कर सके। पर हर्षल कुछ खास था। अपने दिल की बात वो कभी किसी को नहीं बताता था। मैंने जब उसे पहली बार देखा था, तब लगा के जब मैंं छोटा था तब मैं भी कुछ ऐसा ही था। इसलिए उसकी हालत और मानसिक स्तिथि को समझना मेरे लिए बोहोत ही सहज कार्य था। हर्षल पढ़ाई में बेहद ही होसियार था। हम दोनों एक साथ ट्यूशन में पढ़ते थे और बादमें एक ही कॉलेज में हमने एडमिशन लिया। पहले पहले तो हम सिर्फ एक दुसरे को पहचानते नहीं थे, पर समय के साथ-साथ हम अच्छे दोस्त बन गए।

हर्षल को मैंं अक्सर अकेले में हर्षू बुलाया करता था। उसने मुझे काफी कुछ सिखाया उदहारण के तौर पर "12वी की कैसे पढ़ाई करनी है, कैसे रिवीजन करना है और भी बोहोत सी चीजे थी जिन्हें मैंंने हर्षू से सीखी थी।" उससे ही मिलने के बाद मुझे लगा के मैंं भी पहले कुछ ऐसा ही था। हम दोनों साथ मिलकर पढ़ते थे। साथ मिलकर अपने मन की बाते एक दूसरे के साथ बांटते थे। और कुछ इस तरह हमारी 12वी की पढ़ाई और हमारी दोस्ती आगे बढ़ रही थी। शायद हर्षू को अब लगने लगा था के उसे एक ऐसा दोस्त मिल गया है। जिससे वो अपने मन की बात केह सकता था। हर्षू मुझसे काफ़ी घुलमिल गया था और मुझे भी एक बोहोत अच्छा दोस्त मिल गया था।

हर्षू के घर में उसके मम्मी-पापा और एक बड़ी बेहेन थी। उसके पापा का थोड़ा मानसिक संतुलन थिक नहीं था। जिसके कारण हर्षू को दसवीं तक घर के बाहर नहीं निकलने दिया जाता था। वह अकेला घर में पढ़ाई करता रहता था। कभी कभी उसके पापा उसे इतना मारते थे, के उसके शरीर पर मार के निशान साफ दिखाई देते थे। पर वो कभी किसी से कुछ नहीं बताता था। बस अंदर ही अंदर घुटते रहता था। शायद मैंं पहला व्यक्ति था, जिसे हर्षू ने ये सब बताया था। इतना सब सहकर भी उसने कभी हार नहीं मानी और ट्यूशन हो या हमारा कॉलेज दोनी ही जगहों पर लगभग हर पेपर में हर्षू पूरे में से पूरे मार्क्स लेकर आता था। 

मुझे कभी कभी ईर्षा जरूर होती थी पर खुशी भी होती थी के मेरा दोस्त इतना अच्छा है। उसने पेपर के पहले तक मेरी बोहोत सहायता की। भले ही मैंं उसके टक्कर का था। जो 12वी में पहला आने वाले लोगों ने से एक था। पर फिर भी उसने मेरी हर तरह से मदत की। ऐसे दोस्त बोहोत कम मिलते है और मुझे ऐसा इंसान एक सच्चे दोस्त के रूप में मिला। ये मेरे लिए बोहोत बड़ी बात है। जिसने निस्वार्थ होकर एक सच्चे दोस्त के तरह अपनी दोस्ती निभाई। मैंं चाह कर भी उसे नहीं भूल पाऊंगा।

हर्षू अभी तो "एमएच. टी. सी. ई. टी" के लिए तैयारी कर रहा है। पर खुद के दम पर, उसने इसके लिए टीयूशन नहीं लगाई। मैंंने उसके जस्बे और लगन को देखने के बाद, उसे सभी छोटी छोटी बाते बताई है। जो हर्षू की "एमएच. टी. सी. ई. टी" में सहायता करेंगी। वैसे यहां भी बायोलॉजी जैसे महत्वपूर्ण विषय को पढ़ने में उसने मेरी काफी मदत की थी। अभी करोना जैसी महामारी हमारे देश में चल रही है। जिसके कारण हमारे पेपर अभी के लिए आगे बढ़ा दिए है। पता नहीं हर्षू क्या कर रहा होगा वहीं संघर्ष पूर्ण जीवन जी रहा होगा या फिर कुछ अलग करने की तैयारी। खेर जो भी हो उसके जीवन से जुड़ी ये कुछ बाते ऐसी भी थी जिन्हें मैंं लिख पाया अन्यथा मेरे जगह और कोई होता, तो हर्षू की इस छोटी सी कहानी को नहीं लिख पाता।

हर्षू चाहे जैसा भी हो पर वो अपने मन का हाल किसी से यू हीं नहीं कहता। उसकी मोहोबत जिसके बरेमे सिर्फ मुझे पाता है। उसने अपने माता पिता के डर से उसे अपने दिल की बात नहीं बताई। जब मैंने उससे पूछा तो मेरे पूछने पर हर्षू ने कहा के "मैंं अगर उस लड़की को अपने दिल के बाते बताने में सफल भी ही गया, तो भी मम्मी-पापा मानेंगे ये पता नहीं।" कुछ अलग ही तरह की कश्मकश में जी रहा है वो। इस कहानी का बस इतना ही धेय है कि एक दोस्त जो हमारी हमेशा मदत करता है। उसका कभी साथ मत छोड़ना। क्योंकि ऐसे दोस्त बोहोत कम लोगों को मिलते है और हाँँ ये ज़िंदगी हमेशा अच्छे लोगों का साथ जरूर देती है।

तो बस ये थी मेरे एक प्यारे से दोस्त की अन कहीं कहानी।



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