अंजू की शादी
अंजू की शादी
आज से दो साल पहले पेड़ के झरोखे से घर की खिड़की को चीरती हुई उसकी नज़र मेरे घर की दीवार पर लगे शोकेस के बीच के खाने में रखे उस टेडी पर टिकी हुई थी, और मेरी उसपर l 12 साल की उम्र रही होगी शायद, पर माँग में सिंदूर की बेडियां डलीं थीं उसकेl दुबली - सी कमर पर साड़ी सरकती - सी थी जिसे कोशिशों से उसने साधा हुआ था l
शक्ल कुछ पहचानी - सी लगी तो मैंने दरवाज़ा खोल पूछ ही लिया,
"ए लड़की ! यहाँ क्या कर रही है ?"
"भैया मैं अंजू..."
- इतना बोलते ही उसने पल्ला सम्भाला पर सरक गयाl
"तेरी शादी कब हुई ? और तेरी माँ ने तो कुछ बताया ही नहीं !" - मैंने सवाल कियाl
"भैया वो न, तूफ़ान में घर की छत गिर गयी थीl जान का नुकसान तो नहीं हुआ पर सारी कमाई और घर खत्म हो गयाl"
अंजू इतना बोलकर चुप हो गयीl
"तो इससे तेरी शादी का क्या मतलब ?" - मैनें फ़िर सवाल दागाl
इसके पहले कि अंजू कुछ बोल पाती कि मेरे घर में काम निबटा के निकली उसकी माँ बोल पड़ी,
"भैया ये वाली चेमिस्त्री आप नहीं समझोगेl अमीर घर बनवा के बेटे का ब्याह करते हैं और गरीब घर बनवाने के लिये बेटी काl"
इतना बोल रमा बाई घर को निकल गयीl बेटी के ब्याह से घर बनवाने का रिश्ता मेरी समझ से परे थाl
आज जब दो साल बाद श्याम जी हलवाई की स्कूटर पर आसानी से पल्लू सम्भाले उसके कंधे पर हाथ रखे अंजू को जाते देख रहा हूँ तो समझ आ रहा है कि उम्र के अंतर की खाई पैसों से भरी गयी थी...l