अजब सी प्रथा
अजब सी प्रथा
हमारे भारतीय हिन्दू मध्यवर्गीय समाज में एक अजब सी प्रथा देखने को मिलती है। माता-पिता अपनी पुत्री को ग़रीब घर के लायक पुत्र के साथ ब्याहना पसंद करते हैं। एक तो उनकी सोच ये होती है कि ऐसे में बेटी सुखी रहेगी और कम दान दहेज़ में काम चल जाएगा। परन्तु जब पुत्र की शादी की बात आती है, तो वो अपने से अमीर,उच्च परिवार की बेटी को बहू बनाना पसंद करते हैं।
ऐसे में एक तो समाज में उनकी इज्जत बढ़ती है, दूसरा दान दहेज़ भी अच्छा मिलने की उम्मीद होती है परन्तु अगर यदि संयुक्त परिवार में सेवा करने वाली बहू, और परिवार में रचने बसने वाली बहू चाहिए होती है, तो ग़रीब घर की पुत्री ढूंढी जाती है जिसे आसानी से दबाया जा सके। हाँ, एक बात और अगर, पुत्र में कोई शरीरिक अथवा मानसिक दोष हो, या वो निकम्मा, नालायक, नाकारा हो, तो भी ग़रीब घर की पुत्री को ढूँढा जाता है।
हालाँकि प्रेम विवाह की प्रथा से समाज में बदलाव परिलक्षित हो रहा है।