मोबाइल फोन

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सुबह उठकर ईश्वर को प्रणाम कर, नित्यक्रम से निबटकर मैंने बिस्तर पर बैठकर जैसे ही मोबाइल फ़ोन उठाया तो देखा वो काम नहीं कर रहा था। मैंने वहीं से ही चिल्लाकर रसोई में चाय बनाते पतिदेव को कहा, मेरा मोबाइल काम नहीं कर रहा जरा अपना चेक करिये।

वो चाय लेकर कमरे में आते हुए बोले, मेरा भी मोबाइल काम नहीं कर रहा और अभी अभी न्यूज़ पेपर में पढ़ा कि रात १२ बजे से अनिश्चित काल के लिए मोबाइल फोन का प्रयोग बंद कर दिया गया है। सुनकर मेरी तो हालत ही खराब हो गयी। सोचा कैसे पता चलेगा कि मम्मी की रात कैसे बीती ? बच्चों की खबर कैसे मिलेगी और घबरा कर रोना शुरू कर दिया।

कैसे चलेगा ?

इन्होने मुझे समझाने की कोशिश कि, घबराओ नहीं। शुरू में थोड़ी परेशानी होगी।

जिंदगी को धीरे धीरे पुरानी पटरी पर लाना होगा।

मैंने खीझते हुए लहजे में कहा, "आप प्रैक्टिकल बात नहीं करते। पहले की बात और थी,अब कैसे चलेगा ? मैं तो बच्चो और मम्मी-डैडी का हाल जाने बिना १-२ दिन भी नहीं जी सकती। व्हाट्सप्प और फेसबुक की बात तो छोड़ ही दो। अब पूरा दिन कैसे बीतेगा ?"

तभी मेरी नजर अपने लैंडलाइन फोन पर पड़ी, उसे फ़ौरन उठा कर देखा। वो काम कर रहा था। मेरी जान में जान आयी और मम्मी को फ़ोन मिलाया। वो भी मोबाइल को बंद देख परेशान थी। फिर भाग कर कंप्यूटर देखा। इंटरनेट काम कर रहा था। लगे हाथ बच्चो को मेल की और जल्दी ही जवाब देने की ताकीद भी की। फिर ख़ुशी में जैसे ही हुर्रे किया कि नींद खुल गयी। फ़ौरन मोबाइल फ़ोन देखा, वो काम कर रहा था। इसको एक भयानक सपना जान मैंने राहत की साँस ली।


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