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Akshay Shukla

Tragedy

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Akshay Shukla

Tragedy

अधूरी कहानी

अधूरी कहानी

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आज मुझे, उन पंछियो के दर्द का एहसास होता है, जिन के पंख काट के लोग उन्हें पिंजरे में बंद कर अपने घर की शोभा बनाते है। लोग सोचते है कि वो पंछी बहुत खुश है क्योंकि वो उन्हें हंसाता है, पिंजरे में अठखेलिया करता और करतब दिखाता है। उन्हें लगता है कि उस पंछी को किस बात की कमी, वो उसे हर सुख सुविधा देते हैं, रहने को घर और खाने को खाना देते हैं।

लेकिन वो भूल जाते हैं कि पंछी को खुले आसमान में उड़ने में जो खुशी मिलती है वो बंद पिंजरे में नहीं मिलती।

आज़ाद पंछी सुख सुविधाओं का मोहताज नही होता, भले ही वो पिंजरा सोने का क्यूँ न हो।

आज मैं उस पंछी के दर्द को महसूस कर सकता हूँ। या मैं ही वो पंछी हूँ जिसके पंख काट दिए गए है।

मेरे पास रहने को सोने का पिंजरा और खाने को 56 पकवान तो है,

लेकिन खुला आसमान नहीं है।

या यूं कहूँ की, मैं बस एक कठपुतली हूँ।

क्योंकि मैं जो करना चाहता था वो तो मैं कर ही नही पाया,

जो बनना चाहता था वो तो मैं बन ही नहीं पाया।

दुनिया के तौर तरीकों में कही उलझा सा रह गया।

अपेक्षाओं और उम्मीदों ने मुझे घेर लिया

और सपने देखने का हक़ छीन लिया।

वो जो सपने कभी मैन देखे थे

वो जो ख्वाहिशे मैंने पाली थी

आज कहीं गुम हो गए हैं।

ज़िन्दगी की दौड़ भाग में इस क़दर फंसा रह गया

की 

अब मुझे मेरी ज़िंदगी एक लोन लगती है

जिसकी किश्ते मैं रोज चुकाता हूँ।

जब छोटे थे तो बोला गया कि बस 12वी पास कर लो फिर सब मस्त रहना।

12वी पास की तो कहा बस अच्छे से कॉलेज कर लो

फिर मस्ती ही तो करना है।

कॉलेज पास किया तो कहा एक बार नौकरी लग जाये फिर ज़िन्दगी आसान।

असली ज़िन्दगी के exams तो उसके बाद ही शुरू हुए।

अब तो बस धीरे धीरे इसी में ढल रहा हूँ।

अब तो मंच की यादें भी धीरे धीरे धूमिल होती जा रही हैं।

रंगमंच जिसे मैं कभी रोज जीता था, नए नए costumes, मेकअप , lights, rehersals,

यह सब अब meetings, targets, और excel sheets में बदल गया है।

परफॉरमेंस आज भी देता हूं रोज

लेकिन अब तालियों की आवाज़ सुनाई नही देती।

पीयूष मिश्रा जी ने भी क्या खूब लिखा है,

एक इतवार ही तो है जो रिश्तो को संभालता है,

बाकी दिन तो किश्तों को संभालने में निकल जाते है।

बाकी चार लोग तो बैठे ही है आपको ये बताने की आप चाहे कुछ भी कर लो , हम तो नुस्ख निकाल ही लेंगे।

चुपचाप शांति से अपना काम करते रहो, और कहीं कुछ अपने सपनो के लिए करने की कोशिश की ना तो तैयार रहना ये सुनने के लिए

की चार लोग क्या कहेंगे।

(इतने में आफिस बॉय केबिन का दरवाजा खटखटाता है)

- "Sir, manager साब ने बुलाया है।"


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