आनंद
आनंद


आनंद एक किसान परिवार से था। उसके माता पिता गांव में खेती करते थे। वो अपने चाचा के घर शहर में रहता था। पढ़ाई में वो अपने चचेरे भाइयों से आगे था। ये बात उसके चाचा को अखरती थी। उसके चाचा कुछ न कुछ बहाने ढूंढते थे उसे डांटने के लिए। इस बात पर वो काफी निराश हो जाता था। वो उससे घर के काम भी करवाते थे। जीवन उसे हमेशा कहता था, "यहाँ तुम नहीं रहना। जल्द से जल्द तुम्हें यहाँ से बाहर निकलना है।"
आनंद को पहले से ही पता था कि उसके पास अपने पापा के घर रहने के अलावा कोई चारा नहीं है। आख़िर यह बात तो तय थी कि उसे अपनी पढ़ाई खत्म होने तक वहीं रहना था। वो कई बार अपने चाचा के बर्ताव से नाराज़ होते हुए भी अपना गुस्सा पी जाता था। वो उसके चाचा ने बताए हुए सारे काम करता था।
मैं आनंद को बचपन से जनता था। वह एक खुशनुमा बंदा था। वह अपने नाम की तरह हमेशा खुश रहता था। जब भी वो नाराज़ होता था, वह हम सबसे दूर रहता था। उसे शायद उसकी नाराज़गी की वजह हमें बताना गलत लगता था। उसके चाचा उससे रोज पीने का पानी भरवाते थे। उसने नाराज़ होने की बजाए बड़े चाव से वो जो भी काम उसे बताते वो करना शुरू किया। जीवन उसे हमेशा कहता था, "जब तुम यहाँ से चले जाओगे, तुम्हें सभी बहुत याद करेंगे। कभी कभी आनंद को काफी रोना आता था। वो अपना वक्त और जगह तय करता था रोने के लिए। वो अपने जज़बात दूसरों के सामने जाहिर नहीं करना चाहता था। वो ये मानता था के रोना आदमी को कमजोर नहीं बनता बल्कि हल्का करके शांत कर देता है।
आनंद का सपना था कि वो बड़ा आदमी बन जाए और अपने चाचा को अपने पैसों से ढेर सारी ख़ुशियाँ खरीद के दे। लेकिन वो उन सबसे दूर रहना चाहता था। उसके चचेरे भाइयों का उसके प्रति बर्ताव अच्छा था। उन्हें कभी कभी उनके पिता की बातें अखरती थी, लेकिन अपने पिता के सामने उनकी नहीं चलती थी।
आनंद ने अपने चाचा के बताया हुआ काम मना करने की आदत से छुटकारा पा लिया था। उसने आदत डाल दी थी कि जब भी कभी उसके चाचा उसे कोई काम बताते, वो तुरंत वह काम कर देता था। फिर चाहे वो उनके खेलने के वक्त ही क्यों न हो। कभी कभी हमारी आदतें कामयाबी की सीढ़ियां बनती है।
क्रिकेट खेलते वक्त आनंद बड़े उत्साह से गेंदबाज़ी करना चाहता था। वो कहता था कि उसे गेंदबाज़ी ही पसंद है। मुझे बल्लेबाजी करना पसंद था। कुछ देर बल्लेबाजी करने के बाद मैं खुद उसे बल्लेबाजी करने के लिए मना लेता था।
आनंद ने दसवी के बाद सायन्स के लिए एडमिशन ले ली थी। उसने इंजीनियरिंग करना लगभग तय किया था। उसके चाचा उसे Biology भी लेने को कह रहे थे लेकिन उसने इस बार उनकी नहीं सुनी। उसने कॉलेज में खूबसूरत लड़कियों से दोस्ती भी बना ली थी। उनमें से एक लड़की उसे पसंद थी। मैं भी उसी कॉलेज में था इसलिए मैं उसका चक्कर जानता था। आनंद ने इस बात को उसके घर पर बताने से मुझे मना किया था जो मैं समझ सकता था। उन दिनों आनंद के सपनों में उसी लड़की का बसेरा था। ख़्वाहिश इंसान को अपने सपनों से बंधे रखती है। आनंद ने उन दो सालों में दिल्लगी के साथ साथ पढ़ाई भी अच्छी की।
आनंद अपने बारहवीं के परिणाम से खुश नहीं था। हालांकि उसे दूसरे शहर में अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन मिल गयी थी। उसे ये एडमिशन मेरिट के तौर पर मिल गयी थी। उसने इस बार उसके चाचा के चंगुल से छुटकारा पा लिया था। उसकी एडमिशन Mechanical ब्रांच के लिए हुई थी। जीवन उसे कहता था, "ज़िन्दगी एक पगडंडी की तरह होती है। एक कच्ची सड़क जिसे इंसान पक्की बनाने की कोशिश करता है।"
इसी बीच वो जिस लड़की से प्यार करता था उस लड़की ने आनंद ने प्यार का इज़हार करने पर मना कर दिया। जीवन उसे कहता था ,"यादें लाश की तरह होती है। यादों के सहारे आगे की ज़िन्दगी नहीं जी जाती बल्कि जिंदगी थम जाती है।" आनंद उस बात से निराश ज़रूर हुआ था लेकिन टूटा नहीं था। उसने अपने आपको संभाला। नए कॉलेज में उसने नए दोस्त बना लिए। इंजीनियरिंग उसके लिए नया पड़ाव था। धीरे धीरे उसके चाचा का उसके प्रति बर्ताव अच्छा होने लगा। जीवन ने उसे कहाँ,"जिंदगी के मायने वक्त के साथ खुद ही बदलते है।"
आनंद अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई में अच्छा था। वो कई बार अपने चाचा के घर जाना टाल देता था। वो उन्हें कहता था कि हॉस्टल में ही उसकी पढाई अच्छे से होती है। मैं अपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई में व्यस्त था। मेरी एडमिशन भी दूसरे शहर में हो चुकी थी। आनंद की अब मुझसे इतनी मुलाकात नहीं होती थी। लेकिन जब भी वो मुझे मिला हमेशा खुश नज़र आया था।
एक दिन आनंद ने मुझे बताया था कि वो रात के ढाई बजे अपने खेत में मोटर शुरू करने जाता है। मैं उसकी बात पर चौक गया। मैंने पूछा कि क्या वह किसी जानवर से डरता नहीं है। उसने मुझे जवाब में कहां की उसे अगर कुछ होना होगा तो कैसे भी हो सकता है। सड़क क्रॉस करते समय भी हो सकता है। वह अपने बर्ताव और अंदाज़ में ढीठ था।
मैं हमेशा चाहता था कि आनंद अपनी ज़िंदगी में कुछ अच्छा करे। उसके साथ कुछ बहुत ज़्यादा अच्छा हो। आप ज़िन्दगी में बहुत कम लोगों के बारें मे ऐसा सोचते है।
इंजीनियरिंग करते हुए जीवन उसे हमेशा कहता रहा कि मुहब्बत शिद्दत से की जाने वाली कई चीजों में से एक है। उसकी बातों से एक चीज़ मालूम होती थी कि वो इस बात को समझ चूका है। मैं उसे उसकी गर्लफ्रेंड के बारें मे पूछता तो वह मुझे यहीं जवाब देता था। मुझे उसका जवाब सुनकर अच्छा लगता था। प्यार एक ऐसी बात है जिसपर इंसान ने छिछला नहीं होना चाहिए।
जब इन्सान बड़ा हो जाता है तो उसके सपनों की Goalpost आगे चली जाती है। उसके सपने भी बड़े हो जाते है। आनंद ने अपनी इंजीनियरिंग पूरी कर ली थी। उसे कैंपस में एक बड़ी MNC ने सेलेक्ट कर लिया था। अपनी इंजीनियरिंग के बाद वो सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करने वाला था। उसकी ट्रेनिंग हैद्राबाद में होने वाली थी।
जो आपकी मंज़िल होती है वहां जाने के रास्ते हमेशा बनते जाते है। आनंद की मुलाकात सपना से उसी दौरान हुई थी। सपना एक अच्छी लड़की थी जो बाते कम करती थी। लेकिन आनंद के साथ वक्त बिताने के बाद वो थोड़ी ज्यादा बातें करने लगी थी। ट्रेनिंग वाले वक्त में उन्होंने एक दूसरे को अच्छेसे जान लिया था। उन्हें पता था कि वो दोनों एक दूसरे को चाहने लगे है। सपना ने कंपनी में join करते समय अपना preferred लोकेशन बैंगलोर दिया था और आनंद ने पूने दिया था।
आनंद ने पूना में कम्पनी join कर ली। सपना ने भी उसकी joining लोकेशन पूना करने के लिये request की। मुहब्बत एक आदताना बात भी है। हमें एक दूसरे की आदत हो जाती है जिससे छुटकारा पाना जिंदगी थोड़ी कम होने के बराबर लगता है। सपना की request मान ली गई और उसने भी पूने में ऑफ़िस join कर लिया। दो बिछड़े हुए दिल वापस एक हो गए।
करीब दो सालों बाद आनंद को अमेरिका जाने का मौका मिला। जिंदगी की कड़ियों में सबसे मजबूत कड़ी अगर प्यार की हो तो उस इंसान जितना लक्की कोई नहीं होता। कुछ ही समय में आनंद ने उसके घर पर ये बात बता दी कि वो सपना को चाहता है और शादी भी उसी से करेगा। आनंद के माता पिता को मनाने में उसके चाचा ने अहम भूमिका निभाई। सपना के माता पिता पहले से ही शादी के लिए हाँ कह चुके थे। दोनों की शादी बड़े ही धूम धाम से की गयी। कुछ ही समय बाद उसी MNC ने सपना को भी अमेरिका भेज दिया जहाँ आनंद काम करता था। दोनों ने नए सिरे से अपनी जिंदगी अमेरिका में शुरू की।