हम ही गुनाहगार बन बैठे। हम ही गुनाहगार बन बैठे।
दिलकश तबस्सुम ने उम्मीदों को जगाया था कभी। दिलकश तबस्सुम ने उम्मीदों को जगाया था कभी।
सोचते हुए खुद को पाता बस ताकते हुए खुली खिड़कियों से। सोचते हुए खुद को पाता बस ताकते हुए खुली खिड़कियों से।
ईट पे ईट रख दीवार जोड़ा था मैंने ईट पे ईट ही पड़े थे ढह जाने के बाद! ईट पे ईट रख दीवार जोड़ा था मैंने ईट पे ईट ही पड़े थे ढह जाने के बाद!
अद्भुत दृश्य देख आज यहाँ मन हो आया बैठ जाने का, वो अद्भुत रमणीय पल दूर न हो जाए आँखों अद्भुत दृश्य देख आज यहाँ मन हो आया बैठ जाने का, वो अद्भुत रमणीय पल दूर न हो ज...
ये दिल एक गहरी खाई है सूखी झाड़ियों का हुज़ूम है फ़िसलते पत्थर है बिन पत्तों के शज़र है कुछ गहरा... ये दिल एक गहरी खाई है सूखी झाड़ियों का हुज़ूम है फ़िसलते पत्थर है बिन पत्तों ...