ज़िद पर अड़ना पड़ता है
ज़िद पर अड़ना पड़ता है
गिर कर उठना पड़ता है
कुछ करने का हो जज़्बा तो फिर
ज़िद पर अड़ना पड़ता है।
मन की शक्ति से खुद को खींचना पड़ता है
शुद्ध विचारों से मन को सींचना पड़ता है
हालातों के तूफानों से लड़कर
बन कर एक मशाल आगे बढ़ना पड़ता है
गिर कर उठना पड़ता है
कुछ करने का हो जज़्बा तो फिर
ज़िद पर अड़ना पड़ता है।
मुश्किलों ने नीचे खींचा
फिर भी सर ऊंचा उठाना पड़ता है
कितने ही गमों का पहाड़ टूट पड़े
फिर भी मुस्कुराना पड़ता है।
किस्मत खुदा ने नहीं लिखी
किस्मत को खुद लिखना पड़ता है
हाथों की लकीरों को
मेहनत से बनाना पड़ता है।
शब्दों के तीर जब सीना छलनी कर देते हैं
चार लोगों के चार शब्द हर सपना हर लेते हैं
ऐसे में हर सपने को सच करना पड़ता है
गिर कर उठना पड़ता है
कुछ करने का हो जज़्बा तो फिर
ज़िद पर अड़ना पड़ता है।
राहें नहीं आसान
हर राह को आसान बनाना पड़ता है
कितनी ही बड़ी हो मुश्किल
समाधान सुझाना पड़ता है
गिर कर भी उठना पड़ता है
कुछ करने का हो जज़्बा तो फिर
ज़िद पर अड़ना पड़ता है।