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Nibha Priya

Abstract

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Nibha Priya

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'यह कैसा वक्त'

'यह कैसा वक्त'

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एक स्त्री का यह कैसा वक्त आ गया

सात जन्मों तक साथ निभाने वाला पति,

उसे इसी जन्म में अकेला छोड़ गया।


ससुराल अब उसका अपना रहा नहीं,

और उसका अपना

मायका उसके लिए पराया हो गया

एक स्त्री का या कैसा वक्त आ गया।


गहने-जेवर सब उसके बिकते चले गए,

खिलती जिंदगी तो मानो मुरझा सी गई।

उसके रंगीन दुनिया पर

अंधकार छाता चला गया।


सुनहरा भविष्य तो मुर्दा बन गया

और उसके सपने सफेद चादर से ढक गए

एक‌ स्त्री का यह कैसा वक्त आ गया

एक स्त्री का एक ऐसा वक्त आ गया !


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