## ये शाम
## ये शाम
कभी यादों मे सिमट कर
कभी आँचल मे लिपट कर
चहक रही है मेरे गले लग कर
ये शाम।
बड़ी हसीन ख्वाहिशें हैं
बड़ी दिलकश उम्मीदें है
उन उम्मीदों के सिरहाने
बैठी है ये शाम।
सर्द मौसम का बहाना है
इंतज़ार के कई लमहे है
उन लमहों की सरसराहट में
घुली है ये शाम।
क्या कभी आयेगी तू
मेरे दिल को छू पायेगी तू,
अपनी हलकी सी मुस्कान लिये
बिखराते हुए अपना प्यार,
ऐ शाम।