के ना रहूं मैं कल ग़र इस दुनिया में तो घर के किसी कोने पर मेरी इक तस्वीर होगी। के ना रहूं मैं कल ग़र इस दुनिया में तो घर के किसी कोने पर मेरी इक तस्वीर होगी।
हम मानव को धर्म के चश्मे नहीं देखते। हम मानव को मानवता की दृष्टि से समझते है । हम मानव को धर्म के चश्मे नहीं देखते। हम मानव को मानवता की दृष्टि से समझते है ...
एक रात में खुद कुुुछ नया पिरोया है किसी शाम को गंगा किनारे बिताया है । एक रात में खुद कुुुछ नया पिरोया है किसी शाम को गंगा किनारे बिताया है ।
सर्द मौसम का बहाना है इंतज़ार के कई लमहे है सर्द मौसम का बहाना है इंतज़ार के कई लमहे है