ये दूरियां ....अजीब सी उलझन है!
ये दूरियां ....अजीब सी उलझन है!
उसके हाथों की हरकतों पर नज़र है,
अपनी जगह पर वे स्थिर है,
मेरे बढ़ते हाथ भी अब थम जाते है,
समझदारी या बेहतर आचरण है,
ये दूरियां ....अजीब सी उलझन है!
जी तो करता है हाथों से हाथ मिला सके,
सामाजिक दूरियां निभाने में हो रही ये उलझन है,
हाथों से हाथ भले ही न मिल सके,
दो दिलों के बीच की दूरियां कितनी हो,
ये दूरियां ....अजीब सी उलझन है!
