याद तुम्हारी आती है
याद तुम्हारी आती है
जब-जब फूलों को छूता हूँ,
तब याद तुम्हारी आती है,
तेरे सर्द,
गुलाबी होठों की
कलियों का मचलना
तेरे यौवन की
याद दिलाती है
जब-जब बदली घिर जाती है,
तब याद तुम्हारी आती है !
जब बागों में जाता हूँ
डाली पर लिपटी लतिका
मिलन की याद दिलाती है
घासों पर छिटकी श्वेत ओस
याद दिलाती कि तेरी
श्वेत मोतियों की माला टूट गयी थी
अमवां की डाली पर
जब कोई कोयल गाती है,
तब...याद तुम्हारी आती है !
कल्पना की तूलिका से
ख्वाबों के कैनवास पर
यादों की रौशनी में
तेरी तस्वीर बनाता हूँ
कि चाँदनी की चुनरी मुझसे जब टकराती है,
तब याद तुम्हारी आती है !
भँवरा फूलों पर मडराता है
मधुऋतु का संदेश सुनाता है
लतिका कोई इठलाती है
तब याद तुम्हारी आती है !!