STORYMIRROR

Hardik Mahajan Hardik

Abstract

4  

Hardik Mahajan Hardik

Abstract

वक़्त

वक़्त

1 min
428


मत बदलना वक़्त बदलने पर तुम।

एक यहीं वक़्त सम्भलने का तुम।


रहोगे साथ तो निभाओगे तुम भी,

करोगे प्रयत्न तो वक़्त पर तुम तो,


थाम लोगे ज़िन्दगी अपनी यह तुम।

हार्दिक नहीं कभी मिले वक़्त तुम।


हो गर अल्फ़ाज़ तो बिखरोगे तुम।

बस वक़्त को सही पहचानों तुम।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract