वक़्त से दरख्वास्त - वक़्त की दरख्वास्त
वक़्त से दरख्वास्त - वक़्त की दरख्वास्त
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ए वक़्त रुक सको तो रुक जाओ
कि अभी कुछ भी हासिल हुआ नहीं
ए वक़्त रुक सको तो रुक जाओ
कि बहुत कुछ रह गया है करने को बाकी अभी।
ए वक़्त रुक सको तो रुक जाओ
कि अभी ना जाने कितनी शामें
यूँ ही बीता दी हमने खा-म-खा
कि ना जाने कितने ज़ख्म कुरेद कर
देखे इस साल बार-बार
कि ना जाने क्या चलता रहता था
ज़ेहन में हमारे सुबह-शाम
कि अभी तो शुरु किया था सम्हलना
कि अभी तो शुरु किया था
खुद से खुद की बातें करना
कि ना जाने क्या था पता
कि ना जाने क्या थी खता।
यह कि अभी तो भूल कर सब कुछ
चले थे थोड़े से आगे,
यह कि अभी तो सब कुछ दफ़न कर
संभाल रहे थे खुद को किसी बहाने?
ए वक़्त रुक सको तो रुक जाओ
कि अभी कुछ भी हासिल हुआ नहीं
ए वक़्त रुक सको तो रुक जाओ
कि बहुत कुछ रह गया है करने को बाकी अभी।