वो दोस्त भी तो ऐसे थे
वो दोस्त भी तो ऐसे थे
एक दूसरे पर उड़ाते जो बेहिसाब पैसे थे
वो दोस्त भी तो ऐसे थे
जिनके साथ आता था मज़ा
बिन उनके ज़िंदगी लगती थी सज़ा
साथ उनके बैठ कर रातों रात पीना
एक ही रात मे पूरी ज़िंदगी के ख़यालों मे जीना
बातें करते वो टेढ़ी थी
साथ उनके ज़िंदगी नशेड़ी थी
कभी ख़ुशी तो कभी ग़म था
पर हर परेशानी का हल भी तो रम था
कुछ फट्टू तो कुछ साले लड़ाकू थे
कुछ आशिक़ तो कुछ बड़े पढ़ाकू थे
गर मामला इश्क़ का हो तो उसमें थोड़े कच्चे थे
दिलो के साफ़ साले सभी अच्छे थे
आपस मे बदल वो लेते कच्छे थे
कुछ भी हो उनके साथ ही ज़िंदगी के लच्छे थे
बकाई वो दिन ही अच्छे थे
पूरी फ़ौज बना कर करते थे मौज
सबका कमरा मानो कोई सस्ती लौज़
पैसा हो ना हो फ़र्क़ कहाँ था
क्या तेरा क्या मेरा सब एक ही जहाँ था
उनके साथ बर्बाद की थी हमने जवानी
हर दिन बनाई थी हमने अपनी एक नई कहानी
उनके लिए तो हम आज भी जवान हैं
लेकिन कहाँ अब हमारा मिलना आसान हैं
कोई नौकरी मे तो कोई कर रहा व्यापार हैं
अब सब अपनी ज़िंदगी के कलाकार हैं
कभी बेटा तो कभी भाई,बाप हैं
अपनो के लिए जीते वो परेशानी लेते भाप हैं
अब ना वो दिन आयेंगे ना वो दोस्त
हो गए जो अपनी ज़िम्मेदारियो मे लोस्ट
हरकतें करते ना जाने वो कैसे कैसे थे
वो दोस्त ही कुछ ऐसे थे।