वो बुलाती है मगर जाने का नहीं
वो बुलाती है मगर जाने का नहीं
उसकी याद आती है
मगर याद करने का नहीं
वो शॉपिंग, मूवी
के लिये पैसा मांगती है
पर देने का नहीं
वो बुलाती है
मगर जाने का नहीं।
इस दुनिया मे बेशर्मी की भी
ह्द होती है
लड़की दिखी नहीं
वहां भीड़ होती है
उसकी हंसी पे सारी कायनात
झुक जाती है
अब इसे कोई कहता है हुनर
तो मोह माया कोई
वो बुलाती है
मगर जानेका नहीं।
अब आती है
भ्रष्टाचार की बारी,
जो सिखाता है
देश के साथ करना गद्दारी
अपने उपर बहुत सारी
होती है जिम्मेदारी
पर हम उसे भूल जाते हैं
हर पल बारी बारी
थोड़ा तो सोचो
क्या गलत है क्या सही
वो बुलाती है
मगर जानेका नहीं।
बीमारियों का तो पूछो मत
हम मरते हैं ज्यादा और
जीते हैं कम
क्यूँकि अपने
अंदर छिपा है
डर का बम
अब बैठा है सबमें
कोरोना का डर
मैं तो कहता हूं
जो स्वस्थ रहा
बढ़िया जिया वही,
क्यूंकी बिमारी बुलाती है
मगर जाने का नहीं।
