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अनुराग मिश्रा द्वारिकेश

Abstract

5.0  

अनुराग मिश्रा द्वारिकेश

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वंदे मातरम्

वंदे मातरम्

2 mins
367


लहू की हर बूंद से,

मेरे देश का नाम लिख दो।

जो आंखों उठे मेरे भारत पर,

नींदें उसकी हराम लिख दो।


रोके जो बढ़ते कदमों को हमारे,

रास्ते में उसके मुश्किलें तमाम लिख दो

जला दो क्रांति की चिंगारी,

लहू की हर बूंद से हिंदुस्तान लिख दो।


कर्म-भूमि और पुण्यभूमि है भारत,

गौतम, बुध, गांधी-विवेका का नाम लिख दो

पूछ ना सके कोई भी पहचान तेरी,

कर्मों का ऐसा गुणगान लिख दो।


ना रोक सके, कोई खुद को जय करने से,

जय जय भारत मेरा महान लिख दो

देगा कोई ज्ञान भी तो क्या,

शून्य दशमलव, कर्म योग का ज्ञान लिख दो।


दिया विश्व को योग ज्ञान,

वेदों में निहित अन्तर्विज्ञान लिख दो

सुश्रुत, चरक का औषधि शल्य योगदान,

भर हुंकार भारत का स्वाभिमान लिख दो।


पूछे जब भी कोई नाम तेरा,

हिंदुस्तानी हूं सरेआम लिख दो

पूछे जब भी कोई कर्म तेरा,

पग-पग पर भारत का उत्थान लिख दो।


शांति रग-रग में में बसती है हमारे,

अमन फैलाना हमारा काम लिख दो

ना रोक सके कोई खुद को जय करने से,

जय-जय भारत मेरा महान लिख दो।


झाँसी,प्रताप,सुभाष,बहादुर और वल्लभ, आजाद,

क्रांति वीरों की क्रांति का अह्वान भर दो

जब जब आंखे उठे मेरे भारत पर,

पग- पग पर अपने आदर्शों का बलिदान लिख दो।


हाथ जोड़कर मर्यादा अपना काम लिख दो,

बुरी हश्र वालों का बुरा अंजाम लिख दो

लहू खौलकर इंकलाब बोलकर,

जर्रे जर्रे में हिंदुस्तान लिख दो।


देखा है किसी ने ईश्वर को,

मंदिर में मस्जिद गुरुद्वारे में,

ऐसा कोई सवाल लिख दे

देश है जान, माता-पिता है भगवान,

इनकी सेवा को अपना सम्मान लिख दो।


माथे पर मिट्टी का तिलक स्वर्णिम,

ये भारत माता का वरदान लिख दो

ख़ामोशी-चुप्पी को पल में तोड़कर,

भारत माता की जय बोलकर,

लहू की हर बूंद से हिंदुस्तान लिख दो।


चक्षु खोलकर संस्कृत-हिंदी बोलकर,

वेदों और गीता का ज्ञान भर दो

मिटा दो गुस्ताखों की गुस्ताखी,

अपनी हस्ती का परिणाम लिख दो।


दम्भ तोड़ कर पाखंड छोड़कर,

भारत की जय का गुणगान लिख दो

हाथों में हल देख जब कोई मजाक उड़ाए,

आवारा गंवार कोई तुझे बताए

पृथ्वी,अग्नि,आकाश,नाग, और धनुष प्रक्षेपास्त्र,

आर्यभट्ट मंगल-चंद्रयान के गौरवगुण गान लिख दो।


ना फिर कोई ऐसी भूल करे,

माथे पर कफन और तन में धूल भरे

दुश्मनी मिटाकर हर दुश्मन के सीने में,

जय-जय भारत की जय का गुणगान लिख दो।


जब भी कोई तेरे धर्म का नाम पूछ ले,

सवालों के लिए तेरा पैगाम पूछ ले

झूठी नफरतों में उसकी अनुराग भर दो,

बोलकर भारत माता की जय,

हिंदुस्तानी हूं आज सारे आम लिख दो।


जय-जय करके भारत माता की जय,

लहू के हर कतरे में वंदे मातरम

और हिंदुस्तान लिख दो।


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