STORYMIRROR

विसर्जन

विसर्जन

1 min
28.4K


कर दो विसर्जन,

मन के उन सभी विकारों का,

जिनके लिये कभी खुद को,

क्षमा नहीं कर पाते हो।


कर दो विसर्जन,

तन की धूल भरी,

अहंकारी चंचलता का,

जिसके प्रतिबिंब में खुद को,

ढूंढ नहीं पाते हो।


कर दो विसर्जन,

आत्मा के उन कष्टों का,

जो उसे तुमने ही दिये हैं,

और दोष मढ़ा है दूसरों पर।



कर दो विसर्जन,

ईश्वर की पूजित सुसज्जित प्रतिमा का,

और अवतरित होने दो,

मनुष्यता के सभी आभूषण,

एक एक करके।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

More hindi poem from Anju Kapoor

Similar hindi poem from Inspirational