Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Mahavir Uttranchali

Inspirational

4  

Mahavir Uttranchali

Inspirational

वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर दोहे

वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर दोहे

2 mins
510


न घटे क़िस्साख़ान में, जलियाँवाला दौर

 वीर चन्द्र सिंह ने किया, इन बातों पे ग़ौर


नहीं चलेगी गोलियाँ, निहत्थों पे हुज़ूर

 क्यों दें उनको सज़ा, जिनका नहीं क़ुसूर


नहीं चलाई गोलियाँ, तो कहा राष्ट्र द्रोह

 क़िस्साखानी में किया, सेना ने विद्रोह


वीर चन्द्र सिंह ने रखा, मानवता का मान

 हरगिज़ ना लेंगे कभी, बेक़ुसूर की जान


बेक़ुसूर पे गोलियाँ, वीरों का अपमान

 नहीं चलेगी गोलियाँ, घटे हमारी शान


जलियाँवाला बाग़ सा, विफल किया प्रयास

 था पेशावर काण्ड वो, है गवाह इतिहास


था कप्तान रिकेट का, हुक्म—'हो रक्तपात’

 थे धन्य वीर चन्द्र सिंह, किया नहीं उत्पात


निर्दोषों पे गोलियाँ, मारे न महावीर

 बन्दूकें नीचे करो, ओ भारत के वीर

•••

_____________________

*ये इतिहास में पेशावर काण्ड से मशहूर घटना है। वाक़्या 23 अप्रैल 1930 ई. को तब दरपेश आया। जब हवलदार मेजर चंद्र सिंह भंडारी जी यानि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जी के नेतृत्व में क़िस्साखानी बाज़ार (पेशावर, अब पाकिस्तान) में लालकुर्ती खुदाई खिदमदगारों की एक आम सभा में अंग्रेज कप्तान रिकेट ने गोली चलाने का हुक्म दिया। वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली जो कि उसी अंग्रेज कप्तान रिकेट की बगल में ही खड़े थे। अतः उन्होंने तत्काल ‘सीज ‘फायर’ का हुक्म दिया और सैनिकों से बन्दूकें नीचे करने को कहा। इतना होने के बाद वीर चन्द्र सिंह ने रिकेट से कहा—“सर, हम निहत्थों पर गोली नहीं चलायेंगे।” हालाँकि वीर चंद्र सिंह के विद्रोह के बाद अंग्रेजी हुकुमत ने अंग्रेजो की फौजी टुकड़ी से ही गोली चलवाई। लेकिन वीर चन्द्र सिंह का और गढ़वाली पल्टन के उन जांबाजों का यह अदभुत और असाधरण साहस था जो ब्रिटिश हुकूमत की खुली चुनौती और विद्रोह था।


Rate this content
Log in