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Varnika Chauhan

Tragedy

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Varnika Chauhan

Tragedy

वह मासूम

वह मासूम

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दूर अकले बैठी है वो एक कोने में, 

लगी है वो सिसक सिसक के रोने में, 

कई तकलीफ़ों में घिरी है वो मासूम, 

क्या मिला तुम्हे करके उसकी पवित्रता का खून। 


क्यों किया उसके साथ विश्वासघात, 

अब कौन देगा उस मासूम का साथ, 

टूट चुकी है वो बिल्कुल अंदर से, 

जैसे किसी ने मारा हो उसके दिल पे खंजर से। 


क्या नहीं आईं तुम्हे अपनी माँ और बहन याद, 

लगाते हुए उस मासूम को हाथ, 

रूह तो कांपी नहीं होगी तुम्हारी, 

क्योंकि तुम सब तो हो हवस के पुजारी। 


क्या नहीं दिखा तुम्हे उस लड़की का दर्द, 

समाज में धब्बा है तुम जैसे मर्द, 

जिन्दा जला के कर देना चाहिए तुम्हे राख़, 

फिर चुनते रहना अपनी बोटी अपनी खाक। 


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