ऊंची उड़ान।
ऊंची उड़ान।
ना डर तू ऊंचा उड़ने से,
ना ही कभी नीचे गिरने से।
ना रुकने से ना झुकने से,
सब कुछ होगा तेरे करने से।।
तेरे बुलंद हौसलों के आगे,
इन मुश्किलों की क्या औकात है?
डर के नहीं बल्कि हिम्मत से लड़ तू,
चाहे जितने भी बुरे तेरे हालात हैं।
अरे रुकावटें तो लाख आएंगी,
इनसे क्या डरना?
इन छोटी मोटी रुकावटों से भी,
बहुत बड़ा है तेरा सपना।
दिखा दे इस नियति को,
की तू भी बड़ा जिद्दी है।
तेरे सामने उसके सारे प्रहार,
एकदम छोटे और पिद्दी हैं।
अरे फैला दे अपने पंख,
और भर ले ऊंची उड़ान।
तेरे पंखों के सामने छोटा पड़ जाएगा,
खुद को 'विशाल' कहलानेवाला आसमान।
