"ऊंचाइयां"
"ऊंचाइयां"
1 min
187
उडूं में आसमां में तो
पैर मेरे जमीं पर हो
ख्वाहिशें हो मेरी ऊंची
सफर मेरा जमीं पर हो
भले ही ताज हो सिर पर
नजर मेरी जमीं पर हो
ऊंचाइयां कितनी भी पा लूं
जड़े मेरी जमीं पर हो
इरादे हो मेरे सच्चे
मेरी हस्ती जमीं पर हो
दूर जाऊँ मैं कितना भी
साथ में मेरे अपने हो
खास हो जाऊं कितना भी
साथ अपनो का कम ना हो
मुश्किलें आए कितनी भी
मेरी पहचान गुम ना हो
मंजिले ना मिले भी तो
ना कुछ खोने का गम हो
रास्ते नेक हो मेरे
मेरी मंजिल भी पावन हो।।
कविता गौतम...✍️
25-4-22