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Harsh Raj

Abstract Others Children

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Harsh Raj

Abstract Others Children

उस शिक्षक को मैं कैसे बताऊं

उस शिक्षक को मैं कैसे बताऊं

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उस शिक्षक को मैं कैसे बताऊँ,

बोलो तो अपनी रूह से निकल जाऊँ।

पढ़ना तो बताया है और जीवन जीना भी सिखाया हैं

जिंदगी के हर मोड़ पे, ऊपर जाना ही बतलाया है।

जब भी नीचे झुका, ऊपर ही उठाया है

काले बदलो में भी सूर्य बनकर आया है।

शिक्षक को मैं कैसे बताऊँ,

बोलो तो अपनी रूह से निकल जाऊँ।


अपने आचरण के सुगंध से संसार को महकाया है, 

और हम नव बालकों को भी सुगंधित कर दिखाया है।

उस शिक्षक को कैसे बताऊँ,

जिसका जब सिर पर हाथ हो तो मानो पूरी दुनिया का साथ हो।

जब जिंदगी में अंधकार है आया तब लोगों ने भी बहकाया,

पर वही खड़े रहे मेरे साथ और सीधा रास्ता बतलाया।

खुशियां भी आए और दुख भी आए

कभी-कभी फटकार भी खाए,

परंतु एक चीज समान ही आया

वह थी उनकी आशा की छाया।

उस शिक्षक को मै कैसे बताऊँ,

जिसने मुझे इतना ऊपर है लाया

कुछ साल पहले तक एक आना भी न जानता था

और आज करोड़ों का ज्ञान है पाया।

शब्द कम पड़ जाते है आपकी व्याख्या करने को;

अब मैं क्या बोलूँ , धन्यवाद गुरु जी इतना सब सिखाने को।



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