उनकी आंखें
उनकी आंखें
दो आंखों के तहखानों में मेरे सभी प्रश्न का हल है
रखा ढांप उसने पलकों से यह मेरा अनमोल खजाना
प्रतिबंधित है सभी चराचर का उस घर में आना जाना
उसी भुवन का राजकुअँर हूँ मेरा बस इतना परिचय है
अटल सत्य है यहीं समाहित अखिल विश्व जैसे अभिनय है
बुरी बलाओं से प्रतिरक्षित लक्ष्मण रेखा ज्यों काजल है।
उन तहखानों के रक्षण को तनी हुई दो भव्य कमानें
खिंची हुई ज्यों प्रत्यंचा या अंकित घोषित रम्य उड़ानें
उभय कत्थई-पट्ट सँजोये स्वप्न सलोने मधुर मिलन के
सुखमय सब क्षण पिरो रखे ज्यों जीवन माला के कुछ मन क।
यह कोरों पर एक बूंद जो मोती या फिर गंगाजल है
भाव भंगिमाओं में अंकित स्वीकृतियों के मौन कथानक
प्रेम बांचते उल्लासों धुन पर थिरकन करते व्यापक
प्रतिबिंबित सम्पूर्ण सृष्टि हो जिनमें उन जीवन दर्पण को।
सौंप दिया अस्तित्व मुदित हो हमने मौन धार अर्पण को
बिद्ध ज्योति-द्वय से मन जैसे अम्बर और चपल बादल है।
