उम्मीद
उम्मीद
उम्मीद की कोई किरण नही दिख रही
मैं भी सपने देख सक्ती हूँ क्या ?
मैं भी जी सक्ती हूँ क्या
बाकी लडकियों के तरह अपनी जिंदगी
मुझे भी हक हैं सपने देखने का
डर लगता हैं सपने देखने को
किसी को अपने पास आणे भी नहीं देती क्यूँ की उसे कुछ तक्लीफ ना हो
घुटं घुटं के जिना ही जिंदगी हैं क्या ?
क्यूँ हर बार अपना दिल रखने के लिए तसल्ली देते रहना
मुझे भी हक हैं सपने देखने का
एक गल्ती के बजे से मैं क्यूँ पीछे हटू
क्यूँ लडकियों कि गल्ती माफ नहीं की जाती
मैं भी शादी के सपने देख सक्ती हू मुझे भी हक हैं
सची मोहब्बत करना गुनाह नहीं हैं
मैं ने सच्ची दिल से मोहब्बत की है
तो क्यूँ इतना दर्द मुझे
उम्मीद नहीं हैं फिर भी मरते दम तक अपने प्यार के लिए लडुंगी
मरते दम तक लडुंगी क्यूँ कि मैने सच्चा प्यार कियाँ हैं
इश्क आसान तो नही हैं
पर हासिल करना भी मुश्किल नहीं है
उम्मीद कि किरण दिखती नहीं बनानी पड़ती है।