"उलझनों में उलझी जिंदगी"
"उलझनों में उलझी जिंदगी"
उलझनों में उलझी जिंदगी अब सुलझाना चाहती है
फूलों से नहीं कांटों से दोस्ती चाहती है
गमों में डूबी है और खुशी से हँसना चाहती है
दुनिया के उलझनों से अब सुलझाना चाहती है ।।
बिन पंखों के आसमानों में उड़ना चाहती है
बेरंग सी जिंदगी सतरंगी रंगों में रंगना चाहती है
उलझनों में उलझी जिंदगी अब सुलझाना चाहती हैं।।
