जीवन की द्रुत मंझधार में, हिलोरें लेते उफनते ज्वार में, जीवन की द्रुत मंझधार में, हिलोरें लेते उफनते ज्वार में,
दुनिया के उलझनों से अब सुलझाना चाहती है दुनिया के उलझनों से अब सुलझाना चाहती है
रंगों से रंग मिले रंगीला हुआ आकाश। धरती को रंगना अभी बाकी है। रंगों से रंग मिले रंगीला हुआ आकाश। धरती को रंगना अभी बाकी है।
इतनी सी ख्वाहिश है मेरी कांटों में भी फूल का खिलना हो। इतनी सी ख्वाहिश है मेरी कांटों में भी फूल का खिलना हो।