जब मुख निरेखे हरि कलित विधु-वपु रिझाते क्यों नहीं। जब मुख निरेखे हरि कलित विधु-वपु रिझाते क्यों नहीं।
रंगों से रंग मिले रंगीला हुआ आकाश। धरती को रंगना अभी बाकी है। रंगों से रंग मिले रंगीला हुआ आकाश। धरती को रंगना अभी बाकी है।