जब मुख निरेखे हरि कलित विधु-वपु रिझाते क्यों नहीं। जब मुख निरेखे हरि कलित विधु-वपु रिझाते क्यों नहीं।
सिसक रहा मन, सुकून पाने को बिलख रही हर साँस, स्वतंत्र हो जाने को ! सिसक रहा मन, सुकून पाने को बिलख रही हर साँस, स्वतंत्र हो जाने को !
जिस तरह से एक आदमी प्रेम का प्रमाण नहीं दे सकता अपितु प्रेम में पड़ सकता है , प्रेम को महसूस को महसूस... जिस तरह से एक आदमी प्रेम का प्रमाण नहीं दे सकता अपितु प्रेम में पड़ सकता है , प्र...
वन के प्राणी सखा हमारे कानन की करते रखवाली। वन के प्राणी सखा हमारे कानन की करते रखवाली।
अटा चढ़ि गोधुन गैहै पै गैहै अटा चढ़ि गोधुन गैहै पै गैहै
निरखि निरखि तेहि आत्मज्ञानी, वंहि बसि ध्यान लगावै निरखि निरखि तेहि आत्मज्ञानी, वंहि बसि ध्यान लगावै